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Showing posts from February, 2020

शायरी:-गुजरे लम्हे लौट नहीं आती

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शायरी गुजरे लम्हे लौट नहीं आती आज भी हम तुम्हे उतना ही चाहते है जितना पहले चाहते थे दुःख की बात तो ऐ है सनम अब ओह गुजरे लम्हे लौट नहीं आते है ओह गुजरे लम्हे लौट नहीं आते है यहाँ कोई भी इंसान अपनी जवानी छोड़ बुड़ा होना नहीं चाहते लेकिन यहाँ किसीकी कुच नहीं चलती एकदिन जवानी ढल जाती है ऐ सरीर भी बड़ी अजीब है बचप्पन से बूढ़े होते होते न जाने कितना रंग बदल जाती है न जाने कितना रंग बदल जाती है आज भी हम दोनो खुश है क्योंकि हम्हारा प्यार सच्चा है जवानी ढली तो क्या हुवा ऐ दिल आज भी तुम्हारे लिए बच्चा है ऐ दिल आज भी बच्चा है देखते देखते आज बच्चे भी बड़े होगये सब अपने अलग ही दुनियामे खोगये जीने दो बच्चे को अपनी मर्जीसे हमें किसीसे कुछ नहीं कहना है बचे हुवे कुछ दिन हमें एक दूसरे के साथ हस्ते खेलते रहना है हमें एक दूसरे के साथ हस्ते खेलते रहना है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-ज़िन्द्दगी एक सफर

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कविता:-ज़िन्द्दगी एक सफर -------------------------------- खानेको नहीं था घरमे कुच तो स्टेशन में खाली बोतल खोजता था इतने लोग कहा आते जाते है दिनभर एहि बात सोचता था दिनभर एहि बात सोचता था ट्रैन को देख मुझे भी कही जानेका मन करता था लोगोको खाते देख मुझे भी कुच खानेका मन करता था पैसे नहीं थे मेरे पास तो चुप चाप आगे बड़ता था चुपचाप आगे चलता था किसीकी सामान चोरी होती तो हमें ही लोग डाटते थे धक्के मारके कुच लोग हमें ट्रेन से खदेड़ते थे पुलिस वाला भी आते थे तो हमें ही मारते थे हमें ही मारते थे सोचते सोचते ज़िन्द्दगीको में सपनो में खोजाता था आँखे खुलती तो चारो और अँधेरा हो जाता था चुने हुवे खाली बोतल लेके  फिर घर लौट जाता था फिर घर लौट जाता था बड़ा होगया आज में मुझे हर चीजका खबर है आज जाके पता चला मुझे ज़िन्द्दगी एक सफर है ज़िन्द्दगी एक सफर है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-हक़ हम्हारा

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कविता:-हक़ हम्हारा कोई नहीं साथमें उनका दोस्त है बन्दुक और गोली कड़ी ठण्ड घने जन्ग्गल में रहते है वो बाहादुर फौजी इसलिए हम मना पाते है होली और दिवाली इसलिए हम मना पाते है होली और दिवाली खाना मिलता नहीं ढंगका ना उनको मिलता है आराम से सोना सब रहते है अपने ही मस्तीमे कौन सुनेगा फौजी का रोना धोना कौन सुनेगा फौजी का रोना धोना इतना बड़ा बजड है देसका न जाने कौन खाता है फौजी कुच बोले तो फौजी को फौज से निकाल दिया जाता है फौज से निकाल दिया जाता है अपना खून पसीना बहाके बना फौजी रोज खेल रहा है अपने जान से दो टक्के का गुंडा नेता बनके घूम रहा है बड़े शान से फूल माला नेता को नहीं फौजी को लगाना चाइये क्योंकि उसने न होली न दीवली मनाई है उसने न होली न दीवली मनाई है बॉर्डर पे खड़े बहादुर फौजी ओह दुश्मनो के हाथ रोज मर रहे है नेता आलीशान बंगले में रहके जाती धर्म का राजनीती कर रहे है नेता जाती धर्म का राजनीती कर रहे है गलती हम्हारी है अच्छे लोग आज पॉलिटिक्स से दूर जा रहे है  इसलिए चोर गुण्डे आज राजनीती में आरहे है समज नहीं आता आज देस किधर जारहा है समज नहीं आता आज देस किध

कविता:-कुछ कर जाना है

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कविता:-कुछ कर जाना है ज़िन्द्दगी मे मुस्किलो से डर गए तो ज़िन्द्दगी भर मुस्किलो से पिटोगे एकबार सिख लिया मुस्किलो से लड़ना तो ज़िन्द्दगी में हर खेल जीतोगे ज़िन्द्दगी में हर खेल जीतोगे     मुस्किलो से जो डरगया ओह ज़िन्द्दगीमें कूच न कर पाएगा जो लड़ गया हर मुस्किलोसे ओह इंसान कूच बड़ा कर जायगा  कूच बड़ा काम कर जायगा बिना संघर्ष किए यहाँ किसको जीबन मिला है क्या कसूर था गुलाब का जो काँटों के बिच खिला है गाँधी कलाम हो या स्वामी विवेकान्दा सबको संघर्ष के बाद ही कामयाबी मिला है सबको संघर्ष के बाद कामयाबी मिला है एक छोटी सी सुई दिन रात न जाने कितना कपड़ा सिलता है मुस्किलो से हार न मानने वालो को एकदिन कामयाबी जरूर मिलती है एकदिन कामयाबी जरूर मिलती है हमें मुस्किलो से डरना नहीं मुस्किलो से लड़जाना है हम दुनियासे जानेके बाद भी दुनिया याद करे हमें कुच ऐसा काम कर जाना है हमें कुच ऐसा काम कर जाना है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-भारत एक राष्ट्र

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भारत एक राष्ट्र न जाने जाती धर्म के नाम पर क्यों इंसान इंसान से लड़ रहा है रोज खबर आती है कही हिन्दू तो कही मुस्लमान मर रहा है उप्पर वाले ने इन्सान बनाया हम सबको फिर हम क्यों नहीं सोचते की ओह एक इंसान मर रहा है ओह एक इंसान मर रहा है आज जहा भी देखो बात बात पे जात पात पे बहस होरहा है इंसान भूलगया की ओह गान्दी आंबेडकर पुरुसोत्तम राम का बिचार खो रहा है उप्पर वाले भी देख इंसान को सोचते होंगे मैंने तो इंसान बनाया था लेकिन आज ये क्या होरहा है आज ये क्या होरहा है कही हिन्दू तो कही मुस्लमान रो रहा है कही हिन्दू तो कही मुस्लमान रो रहा है इंसान भूल गया की ओह इंसानियाद खो रहा है इंसान भूल गया की ओह इंसानियाद खो रहा है कितना सुन्दर दीखता है जब अलग अलग जाती के फूल एक ही फुलबारी में एकसाथ खिलते है भारत को महाँन राष्ट्र बनाना है आओ दोस्तों जाती धर्म भेद भाव छोड़के हम सब एक होके गले मिलेंगे हम सब एक होके गले मिलेंगे देखना फिर हर हिंदुस्तानी के मुँह मे मुस्कान खिलेंगे हर हिंदुस्तानी के मुँह मे मुस्कान खिलेंगे !  जय हिन्द  जय  भारत  मंजीत छेत्री

शायरी:-कहागया ओह प्यारा रिस्ता

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शायरी कहा गया ओह प्यारा रिस्ता ------------------------------------ टेलीग्राफ पोस्टकार्ट का जवाना छोड़ आज इंटरनेट का दुनिया होगया जबसे इंटरनेट आया माँ बाप दोस्त भाई बहन का प्यार नजाने कहा खोगया अपनों का प्यार नजाने कहा खोगया चूले के सामने बैठके करने वाले मीठी मीठी बाते ना जाने आज  कहा खोगया  देखते देखते दुनिया क्या से क्या होगया है देखते देखते दुनिया क्या से क्या होगया है बूड़े जवान हो या बच्चे सब मोबाइल की दुनिया में खोगये व्हाट्सप्प फेसबुक से तो जुड़ गए हम सब लेकिन दिलके रिश्ते दूर होगए दिलके रिश्ते से दूर होगए टेलीग्राफ पोस्टकार्ट का जवाना छोड़ आज इंटरनेट की दुनिया होगया व्हाट्सप्प फेसबुक पे दोस्ती करते करते पता भी न चला दिलका रिस्ता कहा खोगया  देखते देखते दुनिया क्या से क्या होगया देखते देखते दुनिया क्या से क्या होगया बचप्पन में जब माँ लोहरी गातीथि हम उनको प्यारसे सुनते सुनते सो जाते थे कहा गयी आज ओह प्यारी माँ की मीठी लोहरी आज की माँ तो साम होते ही मोबाइल की दुनियामे खोजाते है  आज की माँ मोबाइल की दुनियामे खोजाते है  टेलीग्राफ पोस्टकार्ट का जवाना

शायरी:-तुम खुश रहना

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शायरी तु म खुश रहना ना छोड़ूंगी तेरा साथ बोलतिथि आज मुझे अकेले छोड़ दिया क्या कसूर था मेरा तूने आज मेरा साथ छोड़ दिया मेरा साथ छोड़ दिया मेरा घरमे आज भी तेरा जिक्र होता है मेरा घरमे आज भी तेरा जिक्र होता है तबियद ख़राब रहती थी तेरी इसकी सबको फिक्र होता है इसकी सबको फिक्र होता है हम तुममे रखना हम्हारी प्यार की बात किसीसे न कहना आखिर करली तूने शादी तो तुम हमेशा खुश रहना तुम हमेशा खुश रहना जितना मुझे प्यार जताती थी उसको उससे ज्यादा प्यार जतालेना मेरा फिक्र छोड़ तेरा तबीयत कैसा होगा मुझे इतना बता देना मुझे इतना बता देना हम तुममे रखना हम्हारी प्यार की बात किसीसे न कहना आखिर करली तूने शादी तो तुम हमेशा खुश रहना हमेशा खुश रहना लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-हम सबका प्यारा बतन

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कविता हम सबका प्यारा बतन किसीको इज्जत नहीं दे सकते तो किसीका बिज्जति ना कीजिये हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम सबका है ऐ बतन सबको इज्जत से जीने दीजिये सबको इज्जत से जीने दीजिये धर्म करे न करे अच्छे कर्म जरूर कीजिये धन दौलद दे नादे हर किसीको इज्जत जरूर दीजिये इज्जत जरूर दीजिये सबसे मीठी बोल बोलिये आपको बहुत इज्जत मिल जाएगा आपकी एक मीठी बोल से किसीके चेहरे पे मुस्कान खिल जायेगा किसीके चेहरे पे मुस्कान खिल जायेगा हमें किसीसे लड़ना नहीं किसीसे जलना नहीं किसीका भला नहीं कर पाए तो किसीका बुरा भी करना नहीं किसीका बुरा भी करना नहीं थोड़ा दुःख दर्द सबका होता है थोड़ा दुःख दर्द सहना सीखिए चार दिन की है ज़िन्द्दगी मिलके सबसे रहना सीखिए मिलके सबसे रहना सीखिए किसीको इज्जत नहीं दे सकते तो किसीका बिज्जति ना कीजिये हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम सबका है ऐ बतन सबको इज्जत से जीने दीजिये सबको इज्जत से जीने दीजिये लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-मेरा प्यारा बतन

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कविता:-मेरा प्यारा बतन लोगो की ज़िन्दगी बित जाती है एक घर बनाने में लेकिन किसीको तरस क्यों नहीं आता किसीका का घर जलाने मे इंसान ही इंसान को जलाके किसको क्या मिलेगी मिलके रहो हिन्दू मुस्लिम सबके घरमे खुशिया खिलेगी सबके घरमे खुशिया खिलेगी कोई हिन्दू को तो कोई मुस्लिम को मारने की बात कर रहा है किसी को खबर क्यों नहीं यहाँ हिन्दुस्तान जल रहा है यहाँ हिन्दुस्तान जल रहा है कोई अपने माँ बाप तो कोई अपने भाई बहन खो रहा है खुदा तू ही बता मेरा प्यारा बतन में ऐ क्या हो रहा है मेरा प्यारा बतन में ऐ क्या हो रहा है न किसीको खाने की भूख न किसीको नींद आ रहा है लोग अपने रोजी रोटी छोड़ गांव जा रहा है गांव जा रहा है तुहि बता है खुदा इतना प्यारा बतन मे ऐ क्या हो रहा है प्यारा बतन मे ऐ क्या हो रहा है इंसान ही इंसान को जला के किसको क्या मिलेगी मिलके रहो हिन्दू मुस्लिम सबके घरमे खुशिया खिलेगी सबके घरमे खुशिया खिलेगी जय हिन्द जय भारत लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-भारत किसीसे झुका नहीं

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कविता भारत किसीसे झुका नहीं --------------------------------- भारत माँ के बच्चे है हम डरते नहीं चलते है शान से झुकके चलना आदत नहीं हम्हारी हम जीते है मान सम्मान से हम जीते है मान सम्मान से लड़ने से पहले पड़ले भारत की इतिहास किसीसे छुपा नहीं  दुश्मनो को उसके घरमें घुसके मार आये फिर भी भारत किसीसे झुका नहीं भारत किसीसे झुका नहीं हम भारत माँ के बीर है हमें खुद से ज्यादा बतन कि चिंता है  बतन के लिए सहीद हुवे लाखो जवान आज भी हम्हारे दिलमे ज़िंदा है आज भी हम्हारे दिलमे ज़िंदा है इतना आगे कैसे बड़ा भारत इसकी सबको निन्दा है सबको पीछे छोड़ भारत बिस्वा गुरु बनजाय इसकी सबको चिंत्ता है इसकी सबको चिंत्ता है दुनिया कर न पाई जो काम भारत कर दिखायगा बिस्वा गुरु बनके एकदिन भारत सबको प्यार भाईचारे सिखायगा सबको प्यार भाईचारे सिखायगा कोई कितना भी दुश्मनी करे हमें उनको भाईचारे सिखाना है रोशन रहे भारत सदा युवा को कुछ ऐसा रास्ता दिखाना है कुछ ऐसा रास्ता दिखाना है भारत माँ के बच्चे है हम डरते नहीं चलते है शान से झुकके चलना आदत नहीं हम्हारी हम जीते है मान सम्मान से हम जीते है

सलाम सनी हिंदुस्तानी

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सलाम सनी हिंदुस्तानी निंद मे सपने देखने वाले ग़हरी नींद में खोगये दिनमे सपने देखने वाले सनी आज गायक होगये आज हम सबके नायक होगये सोने वालो की सपने अधूरा कर जाता है रात की निंदिया सनी जैसे दिनमे सपने देखने वाले को सलाम करता है पूरा इंडिया सलाम करता है पूरा इंडिया निंद मे सपने देखने वाले ग़हरी नींद में खोगये दिनमे सपने देखने वाले सनी आज माँ को रानी बना रखने लायक होगये जिस युवा को जाती धर्म समज आया ओह अपने सपने पकड़के लटक गया  जो युवा धर्म के जाल में फस गए ओह अपना रास्ता भटक गया ओह अपना रास्ता भटक गया आज कल जाती धर्म के चक्कर में न जाने कितने युवा अपना भविष्य खोगये जिसने भविष्य जान पहचान गए ओह आज गायक होगये  सनी हम सबके नायक होगये सोने वालो की सपने अधूरा कर जाता है रात की निंदिया सनी जैसे दिनमे सपने देखने वाले को सलाम करता है पूरा इंडिया सलाम करता है पूरा इंडिया लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम जय हिन्द जय भारत

इंसानियद खोगया है

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इंसानियद खोगया है ---------------------------- आज पूरा देस में ऐ क्या होरहा है इंसान इंसान को मार रहा है सबका साथ सबका बिकास का नारा लेके आयी थी सरकार आज ऐ देस में क्या होरहा है 56 inch वाली सरकार ग़हरी नींद में सो रहा है???? खुली है सरकार की आँखे तो आज ऐ क्या होरहा है??? बुद्धा राम गाँधी जैसो का पबीत्र भूमि में ऐ क्या होरहा है लाठी डण्डे लेके रस्तेमें घूमने से अच्छा युवा को सहीद भगत सिंह मंगल पाण्डे जैसे देस प्रेमी की इतिहास पड़नीं चाइये भारत के भविष्य है युवा उसको एकता की बात करनीं चाइये सबको साथ लेके चलना चाइये देस के लिए कुच अच्छा करना चाइये चिंता की बात है इतनी मजबूद सकार के होते ऐ क्या हो होगया है इंसान तो है मगर इंसानियद खोगया है इंसान तो है मगर इंसानियद खोगया है जय हिन्द जय भारत मंजीत छेत्री

शायरी:-प्यार भी अजीब होता है

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शायरी प्यार भी अजीब होता है ------------------------------- आज़ाद छोड़ दो अपने प्यार को उसका भी कोई सपना होगा मिल जाय तो अपना मानलो न मिले तो सपना मानलो कोई प्यार पाके रोता है कोई प्यार पाने को रोता है जिस प्यार मे बिस्वास न हो ओह प्यार प्यार नहीं होता है ओह प्यार प्यार नहीं होता है उसकी मर्जी से जीने दो अपने प्यार को फिर देखना प्यारमे कितनी खुसी खिलती है प्यार जबर जस्ती नहीं मेरे दोस्त  प्यार किस्मत से मिलती है प्यार किस्मत से मिलती है कोई प्यार पाके रोता है कोई प्यार पाने को रोता है क्या चीज बनाया प्यार बनाने वाले ने जिसको मिला ओह भी रोता है जिसको न मिला ओह भी रोता है जिसको मिला ओह दिन रात रोता है जिसको न मिला ओह उसके यादमे खोता है सचमे ऐ प्यार भी बड़ा अजीब होता है सचमे ऐ प्यार भी अजीब होता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-कोसिस करने वालो की हार नहीं होता

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कविता कोसिस करने वालो की हार नहीं होता -------------------------- एक लड़का था ओह कही खोया खोया रहता था कोई नहीं होते साथमे अकेला कुच कुच कहता था कुच पूछा नहीं मेने भी न जाने कहा से आता था मेरा सपना कहते अक्सर में सुनता था सायद कोई सपना साथी को चाहता था में रोज उसको देखने लगा ओह बोलना छोड़के मेरा सपना मेरा सपना लेखने लगा एकदिन ओह वहा से चलने लगा में भी उसका पीछा करने लगा ओह धीरे धीरे हिमाल परबत चड़ने लगा बार बार पैर पिसल के निचे झरने लगा उसको देख में डरने लगा न जाने उसने क्या ठाना था गिरने के बाद भी हार नहीं माना था ओह चिप्पक के चटान मे आड़ लिया मेने बोला मरेगा पागल ऐ क्या करदिया ऐ क्या करदिया तभी पीछे से सब चिल्लाने लगे पागल नहीं देख उसने हिमाल पे अपना झंडा गाड़ दिया अपना झंडा गाड़ दिया तब समज आया मुझे पानी में उतरे बिना समुन्द्दर पार नहीं होता कोसिस करने वालो की कभी हार नहीं होता कोसिस करने वालो की कभी हार नहीं होता हार नहीं होता लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-कोई किसी से कम नहीं

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कविता कोई  किसी से कम नहीं ------------------------------ हर इंसान में कुछ खास होता है कोई किसीसे कम नहीं लोग जो सोचते है ओह हम नहीं जब इंसान मुसकिलो को भी आसानी से झेल लेता है तब उसको पता चलता है ओह भी किसीसे कम नहीं ओह भी किसीसे कम नहीं एकदिन हम सबको मरना है फिर हार से क्यों डरना है तैयार रखो खुदको न जाने कब कौनसी मुस्किलो से लड़ना है डर के नहीं हमें ड्टके चलना चाइए लड़े बिना आजतक किसने जित पाई है लड़े बिना आजतक किसने जित पाई है लोग जो सोचते है ओह हम नहीं जब इंसान मुसकिलो को आसानी से झेल लेता है तब उसको पता चलता है ओह भी किसीसे कम नहीं ओह भी किसीसे कम नहीं  लेखक  मंजीत छेत्री  तेज़पुर असम

शायरी:-दिलके रिश्ते

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शायरी दिलके रिश्ते ----------------- रिश्ते बढ़ते जाय ज़िन्दगी में ऐ सबके सपने होते है कोई खून के रिश्ते पराये तो कोई अजनबी हम्हारे अपने होते है  खुशियों में तो सब साथ चलते है जो मुस्किलो में साथ दे सिर्फ ओहि दिलसे अपने होते है सिर्फ ओहि दिलसे अपने होते है न जाने रोज कितने रिश्ते टूटते है कितने रिश्ते छूटते है वही रिश्ते ज़िन्दगी भर टिकते है जो बिना मतलब के दिलसे जुड़ते है कोई रिश्ते दूसरों को खुश देख खुद खुस होते है कोई रिश्ते दुसरो के ख़ुशी से जलते है दिल का रिस्ता उसी को कहते है जो हर दुःख सुखमे साथ चलते है जो हर दुःख सुखमे साथ चलते है कोई खून के रिश्ते पराये तो कोई अजनबी हम्हारे करीब होते है  खुशियों में तो सब साथ चलते है जो मुस्किलो में साथ चले सिर्फ ओहि दिलसे अपने होते है सिर्फ ओहि दिलसे अपने होते है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम 

प्यारी माँ

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प्यारी माँ ------------- बच्चा रोये तो सीने से लगाती है माँ बच्चा सोजाय इसलिए लोहरी गाके रातभर जागती है माँ बच्चा बीमार होजाय तो खाली पैर मेडिकल भागती है माँ फिर भी लोग बिरदा आश्रम छोड़ आते उनको न जाने क्यों बोज लागति है माँ इतना घमंड कहासे आया हम्मे माँ के सामने सर झुका नहीं सकते लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाइये पूरा जीबन सेवा करके भी माँ बाप का क़र्ज़ चूका नहीं सकते बूढ़े है बिस्तर से उठ नहीं सकते लेकिन बेटा खाना खाया की नहीं जरूर पूछते है इसलिए भगवान भी माँ बाप को पूजते है माँ बाप भगवान से बड़े होते हम सभी को उन्हें पूजना चाइये जैसे क्या खाओगे क्या नहीं ओपू छते थे हमें भी पूछना चाइये माँ बाप भगवान से बड़े होते है हमें माँ बाप को पूजना चाइये  माँ बाप को पूजना चाइये लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-अच्छी ज़िन्दगी

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कविता  अच्छी ज़िन्दगी ---------------------- अच्छी ज़िन्दगी ज़ीने के लिए हमें रोज कुच नया सीखना चाइये कुच नया सिखने लिए रोज कुच पड़ना कुच लिखना चाइये हमें नहीं किसीसे लड़ना है नहीं किसीसे डरना जलना है क्या हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम सबको साथ मिलके चलना है सबको ख़ुशी मिले हमें कुच एैसा काम करना है किसीकी दूवा लगी तो आपकी ज़िन्दगी निखर जायगी किसीकी बद्दुवा लगी तो ज़िन्दगी बिखर जायगी अच्छी ज़िन्दगी ज़ीनेके लिए हमें रोज कुच नया सीखना चाइये कुच नया सिखने के लिए कुच पड़ना कुच लिखना चाइये ज़िन्दगी सुकुन से जीना है तो सबसे कुचना कुछ सीखना चाइये कुच नया सिखने के लिए रोज कच पड़ना कुच लिखना चाइये रोज कच पड़ना कुच लिखना चाइये लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

मोदी जी बहुत कुछ सीखा गए

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मोदीजी बहुत कुछ सीखा गए --------------------------------- जबसे मोदी जी आये हम सबको कुचना कुच सीखा गए बिपक्ष को राष्ट्रवाद तो युवा को पकोड़ा बेच रोजगार सीखा गए जब उन्होंने नोट बंदी की तो सब उनसे डरने लगे देस बिदेस में लोग उनकी प्रसंसा करने लगे कोई फर्क नहीं पड़ा उनको ओह तो सबसे मन की बात करने लगे बिपक्ष को राजनीती सिखाते आगे चलने लगे आगे बड़ने लगे उनकी कामयाबी उनकी मन की स्पीच हुई किसीने सोचा न था लेकिन १९ में फिरसे उनकी शानदार जित हुई उनकी गलती दिखती है तो अच्छे काम भी दिखना चाइये बहुत कुछ है उनके पास हम सबको उनसे कुछ सीखना चाइये जबसे मोदी जी आये हम सबको कुचना कुच सीखा गए बिपक्ष को राष्ट्रवाद तो युवा को पकोड़ा बेच रोजगार सीखा गए पकोड़ा बेच रोजगार सीखा गए मंजीत छेत्री

कविता :-चलो कुच पेड़ लगाए

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कविता चलो कुच पेड़ लगाए थोड़ी सी हिम्मत है मुजमे थोड़ा सा डर रहा हु छोड़के भीड़ के रस्ते में अकेले चल रहा हु सबका भला हो सके कुछ एैइसा सोच रहा हु कुछ रस्ते मिल गए कुछ रस्ते खोज रहा हु कुच अनुभब से सिख रहा हु कुच किताब पड़ रहा हु सबको ऑक्सीजन मिल पाए में पौधे लगाने का काम कर रहा हु थोड़ी सी हिम्मत है मुजमे थोड़ा सा डर रहा हु जितना हो सके युवा को जगाने का काम कर रहा हु सबको न सही कुच युवा को जगा सकते है ज्यादा न सही हम कुछ तो पेड़ लगा सकते है एक एक पेड़ लगाय अगर हम सब दुनिया मे हरिआली छा जायगी सच कह रहा हु हस्टपिटल छोड़ ऑक्सीजन घर घर आजाएगी जब जेहरि हवा के जगह ताज़ा हवा हर जगह छाएगी सच कह रहा हु ऑक्सीजन घर घर आजाएगी जब जेहरि हवा के जगह ताज़ा हवा हर जगह छाएगी सोचो जरा तब हम्हारे ज़िन्द्दगी में कितनी ख़ुशी आएगी थोड़ी सी हिम्मत है मुजमे थोड़ा सा डर रहा हु छोड़के भीड़ के रस्ते अकेले में चल रहा हु अकेले में चल रहा हु  लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

शायरी:- फिर होली आगयी

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शायरी:- फिर होली आगयी ----------------------- लाल गुलाब रंग से रंगी थी तू मेरे दिलमे छागई बहुत याद सता रही है सनम आज फिरसे होली आगयी हाथमे रंग गुलाल लिए हम दोनो घूमते थे सारा जहा नसीब ने खेल खेला कुच एैसा आज तूम कहा हम कहा तेरी याद मुझे आज फिरसे सता रहा है तूभी मुझे याद करती होगी ऐ मेरा दिल बता रहा है पहले तू मेरा हाथ में रंग गुलाल देख मुझसे दूर भागति थी एकबार रंग जाति मेरे हाथसे तो फिर मेरे साथ खेलने आती थी होके लाल पिले हम दोनो होली के रंगमें खोजाते कितना मज़ा आता अगर आज भी हम दोनो साथ होजाते हाथमे रंग गुलाल लिए हम दोनो घूमते थे सारा जहा नसीब ने खेल खेला कुच एैसा आज तूम कहा हम कहा लाल गुलाब रंग से रंगी थी तू मेरे दिलमे छागई बहुत याद सता रही है सनम आज फिरसे होली आगयी आज फिरसे होली आगयी लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

शायरी-में तेरा बनजाउ

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शायरी में तेरा बनजाउ ------------------ इतना तो हक़ दे मुझे में दिल की बात कह पाउ दिल चाहता है तू मेरी और में तेरा बन जाउ कितना अच्छा लगता जब दोनो एक हो जाते      दोनों एक होके एक दूसरे के बाहो में सो पाते कितनी हसींन रात होती ओह हम दोनो एक दूसरे में खो जाते कितनी ख़ुशी होती अगर तू मेरे बच्चे की मम्मी और में पाप्पा हो जाते कितनी प्यारी मम्मी दिखती तू जब लोरी गाके बच्चे को सुलाती कितना ख़ुशी मिलता जब बच्चा तुझे मम्मी और मुझे पाप्पा बुलाती इतना तो हक़ दे मुझे में दिल की बात कह पाउ दिल चाहता है तू मेरी और में तेरा बन जाउ में तेरा बन जाउ लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-:में भी कुछ करना चाहती हु

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में भी कुछ करना चाहती हु ---------------------------------- सुबह सुबह उठके में झाड़ू पूछा करती हु सबको नास्ता खिलाके फिर में स्कूल जाती हु स्कूल से आके फिर ट्युशन पड़ाने जाती  हु अँधेरा होता है घर लौटते वक्त डर डर के घर आती हु हां में रोज रात को बाजार जाती हु दुनिया जलती है मुझसे क्योंकी में खुदकी कमाई खाती हु में खुदकी कमाई खाती हु लड़की हुयी तो क्या हुवा में भी कुछ कर सकती हु खुद के पैर पर खड़ा होके में भी आगे बड़ सकती हु में भी आगे बड़ सकती हु अपने बतन के खातिर लड़की सीने पे गोली भी खा सकती है अगर लड़की का बस चले तो दुनिया में क्रांति ला सकती है दुनिया में क्रांति ला सकती है दुनिया क्यों जलती है मुझसे में भी कुछ करना चाहती हु में भी आगे बढ़ना चाहती हु में भी कुछ करना चाहती हु लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-: मुझे उड़ने दे

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कविता-: मुझे उड़ने दे बंद न रख पिंजड़ा में मुझे अपना पंख खुलने दे पंख दिया बनाने वाले ने मुझे खुले आसमान में उड़ने दे खुले आसमान में उड़ने दे न कर पिंजड़ा में कैद मुझे में अपना पंख खुलना भूल जाऊंगा दया करके छोड़ दे मुझे में खुले आसमान में उड़ना चाउंगा खुले आसमान में उड़ना चाउंगा पंख दिया है बनाने वाले ने मुझे हावा में झूमने दे खुले आसमान में उड़के बादलो को चूमने दे बादलो को चूमने दे न कर कैद मुझे पिंजड़ा में मुझे हवामे झूमने दे खोलके अपने पंख को आसमान में घूमने दे खुले आसमान में उड़के बादलो को चूमने दे बंद न रख पिंजड़ा में मुझे अपना पंख खुलने दे पंख दिया बनाने वाले ने मुझे खुले आसमान में उड़ने दे मुझे खुले आसमान में उड़ने दे लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

शायरी-तुझे चाहने लगे हम

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शायरी-तुझे चाहने लगे हम ------------------------------- मिलजाय प्यार तेरा तो घुटने के बल बैठजाओ पानेको तेरा प्यार में पटरियों पे लेट्जाऊ एक झलक देखने को तुझे तेरा गली रोज आता हु अजमाके देख एकबार तुझे कितना चाहता हु तुझे पाने के खातिर कुच भी कर जाऊंगा न मिली अगर फिर भी तू तो में जीते जी मर जाऊंगा जीते जी मर जाऊंगा तेरा एक झलक पानेको सुबह साम तेरे गली आने लगा हाथ में तस्बीर लेके तेरा पूरी रात जागने लगा खुदको मालूम न हुवा तुझे इतना चाहने लगा माँ से बोलके देख मेरे बारे में हाथ मांगने घर आऊंगा न हुवे राजी माँ बाप तो तुझे भगा ले जाऊंगा एक झलक देखने को तुझे तेरा गली रोज आता हु अजमाके देख एकबार तुझे कितना चाहता हु लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

शायरी--हम दोनो बिछड़ गए तेरे

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शायरी हम दोनो बिछड़ गए तेरे ---------------------------- बहुत आगे निकल गयी तू हम तेरे प्यार में पिछड़ गए नसीब में नहीं था सायद हम दोनो बिछड़ गए तेरे जाने क्यों समज न पायी तू मेरे आँखों में जो नमी था बदल देते खुदको अगर बोलती  मेरा प्यार में कुच कमी था सोचा न था कभी मुझे छोड़के तू किसी और को प्यार जताएगी याद रखना एकदिन तुझे मेरी याद बहुत सताएगी मेरी याद बहुत सताएगी  जाने क्यों समज न पायी तू मेरे आँखों में जो नमी था बदल देते खुदको अगर बोलती  मेरा प्यार में कुच कमी था बहुत आगे निकल गयी तू हम तेरे प्यार में पिछड़ गए नसीब में नहीं था सायद हम दोनो बिछड़ गए तेरे नसीब में नहीं था सायद हम दोनो बिछड़ गए तेरे लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-में एक किसान हु कविता

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में एक किसान हु ------------------------- धुप हो या हो बरसात में चुप चाप बकुछ सेहता हु खुद भूके रहके भी में लोगों का खाली पेट भरता हु बड़े बड़े सपने मेरे भी है क्योंकी में भी एक इंसान हु अपने सपने के लिए सबको भूका नहीं रख सकता क्योंकी में एक किसान हु दिन रात खून पसीना एक करके किसान फसल बोता है इतना मेहनत के बाद भी हर साल फसल बर्बाद होता है साल भरकी पूरी मेहन्नत जब पल भरमे खोता है सच कहता हु सरकार बहुत दुःख होता है सच कहता हु सरकार बहुत दुःख होता है दिन भर खेतमे काम करके जब रातको सोता हु नींद नहीं आती फिर भी रात बितजाय इसलिए सोता हु  फिर होता है नया सुबेरा नया उम्मीद के साथ जगता हु कलकी पुरानी बाते भूलके फिर नयी बीज बोने लगता हु हमें अपने फसल का सही दाम देदो सरकार में एक किसान हु बड़े बड़े सपने मेरे भी है क्योंकि में भी एक इंसान हु में भी एक इंसान हु भी एक इंसान हु लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

शायरी--तेरे यादो में खो जाता हु

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शायरी तेरे यादो में खो जाता हु ------------------------------- धुप हो या बरसात तुजसे मिलने में कितना दूरसे आता था सोचके देख एक बार में तुजे कितना चाहता था कितना हसींन होता था ओह पल ऐ दिल कभी नहीं भूल पाता है तेरे यादो में खो जाता हु आज भी जब तेज़ बरसात आता है तेरे यादो में खो जाता हु आज भी जब तेज़ बरसात आता है जब भी तेरा फ़ोन आय ऐ दिल कितना खुश होता था बाते करते करते कभी खाना बिना खाये सो जाता था सो कितने सुन्द्दर सपने देखे थे दोनों मिलके सब अधूरे होगये कितने सुन्द्दर सपने देखे थे दोनों मिलके सब अधूरे होगये कैसा है नसीब का खेल दोनों अलग अलग होगये कितना हसींन होता था ओह पल ऐ दिल कभी नहीं भूल पाता है तेरे यादो में खो जाता हु आज भी जब तेज़ बरसात आता है तेरे यादो में खो जाता हु आज भी जब तेज़ बरसात आता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

सायरी-तेरा-याद बहुत आता है

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 सायरी  तेरा याद बहुत आता है --------------------------- तू मुझसे दूर चली गयी ना जाने फिर ऐ दिल तुजे क्यों चाहता है जितना तुजे भुलना चाहा उतना तेरा याद आता है तेरा याद आता है मेरा दिल तो मेरा पास ही होता है फिर भी न जाने क्यों तेरे यादो में खो जाता है तेरे यादो में खो जाता है दिल तो मेरा पास है मगर तेरे यादो में खोया रहता है में तब्भी जगा होता हु जब पूरी दुनिया सोया रहता है पूरी दुनिया सोया रहता है ऐ दिल को कभी कभी न जाने क्या होता है मेरे पास रहके भी तेरे यादो में खोता है तेरे यादो में खो है नींद नहीं आती रात को तो रात भर घुमनेका मन करता है तेरे नाम का जाम पिके तेरे यादो में झुमनेका मन करता है तेरे यादो में झुमनेका मन करता है तू मुझसे दूर चली गयी ना जाने फिर ऐ दिल तुजे क्यों चाहता है जितना तुजे भुलना चाहा उतना तेरा याद अात है जितना तुजे भुलाना चाहा उतना तेरा याद आता है तेरा याद आता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

Hindi sed song-ठुकरा के मेरा प्यार

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ठुकरा के मेरा प्यार --------------------------- ठुकरा के मेरा प्यार को तुझे शादी की जल्दी थी भरोसा किया तुजपे ओहि मेरी गलती थी चुन लिया तूने कोई और तेरी  क्या मज़बूरी थी में दूर था तुजसे ओहि मेरी कमजोरी थी ठुकरा के मेरा प्यार को तुझे शादी की जल्दी थी भरोसा किया तुजपे ओहि मेरी गलती थी अपना प्यार पानेको में कुछ भी कर जाता था बोलती एक बार मुझे में दोड़के चले आता था चुन लिया तूने कोई और तेरी  क्या मज़बूरी थी में दूर था तुजसे ओहि मेरी कमजोरी थी ठुकरा के मेरा प्यार को तुझे शादी की जल्दी थी भरोसा किया तुजपे ओहि मेरी गलती थी भरोसा किया तुजपे ओहि मेरी गलती थी लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

Hindi song-NasiB-Me-Nehi-Tha

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बहुत आगे निकल गयी तू हम तेरे प्यार में पिछड़ गए नसीब में नहीं था सायद हम दोनो बिछड़ गए तेरे जाने क्यों समज न पायी तू मेरे आँखों में जो नमी था बदल देते खुदको अगर बोलती मेरा प्यार में कुच कमी था बदल देते खुदको अगर बोलती मेरा प्यार में कुच कमी था सोचा न था कभी मुझे छोड़के तू किसी और को प्यार जताएगी याद रखना एकदिन तुझे मेरी याद बहुत सताएगी याद रखना एकदिन तुझे मेरी याद बहुत सताएगी जाने क्यों समज न पायी तू मेरे आँखों में जो नमी था बदल देते खुदको अगर बोलती  मेरा प्यार में कुच कमी था बहुत आगे निकल गयी तू हम तेरे प्यार में पिछड़ गए नसीब में नहीं था सायद हम दोनो बिछड़ गए तेरे नसीब में नहीं था सायद हम दोनो बिछड़ गए तेरे लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

शायरी प्यार की दो लफ्जे

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शायरी प्यार की दो लफ्जे ---------------------------------- पास भी आजा कभी क्यों रोज दूर से प्यार जताती है एकदिन तो मेरे बाहों मे सोना है तुझे फिर क्यों इतना सताती है जबभी तेरा याद आता है हाथ में जाम लेके झुमनेका मन करता है आँखों में सजाके तस्बीर तेरा होंटो को चुमनेका मन करता है जबभी आती है पहला मुलाकात की यादे में यादो में खोजता हु तुझे याद करते करते पता भी नहीं लगता में कब सोजाता हु कितना अच्छा पल था ओह तेरे घरमे साधी का जसन था एकसाथ बैठे थे हम और बरसात का मौसम था कोई देख रहा सोचके तू बिच बिच में खिड़की से देखती थी जबभी तुझे चूमना चाहा तू हाथो से छेकथी थी कहना चाहती थी तूभी बहुत कुछ लेकिन न जाने क्यों चुप रह गयी चुप चाप बैठे थे हम दोनों लेकिन तेरी खामोसी बहुत कुछ कह गयी तेरी खामोसी बहुत कुछ कह गयी जबभी तेरा याद आता है हाथ में जाम लेके झुमनेका मन करता है आँखों में सजाके तस्बीर तेरा होंटो को चुमनेका मन करता है लेखक मंजीत छेत्री

Na-TeRi-GalTi-Na-MeRi-GalTi

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Hindi song- Na-TeRi-GalTi-Na-MeRi-GalTi ----------------------------------------- भूल गया मेने सबकुछ हो गया जो होना था भूलके सारे गीले सिकवे तेरे बाहो में सोना था भूलझा तूभी सबकुच होगया जो होना था कसूर तेरा भी नहीं था कसूर मेरा भी नहीं था तेरे यादो में दिन रात मेरा ऐ दिल रोता है तू क्या जाने तुजसे अलग होके मेरा दिल कितना रोता है तू क्या जाने तुजसे अलग होके मेरा दिल कितना रोता है हम्हरा प्यार का अंदाज़ देख के दुनिया जलती थी इसमें नही तेरी गलती थी नहीं मेरी गलती थी मेरा दिल मेरे पास होके भी तेरे याद में खोता है तू क्या जाने तुजसे अलग होके मेरा दिल कितना रोता है तू क्या जाने तुजसे अलग होके मेरा दिल कितना रोता है भूल गया मेने सबकुछ हो गया जो होना था भूलके सारे गीले सिकवे तेरे बाहो में सोना था भूलके सारे गीले सिकवे तेरे बाहो में सोना था लेखक मंजीत छेत्री

कविता-जित की उम्मीद बोना है

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जित की उम्मीद बोना है उन लोगो की बात न सुन्ना जिसने अपनी हार मानी है ऐ दुनिया उसी की है जिसने कुछ करने की ठानी है ज़िन्दगी से हार मानके कोई ऐसे घुम रहे हैकोई नसे में झूम रहे है जिसने देखा आसमा छूने की सपना वो आज चाँद तारे को चुम रहे है वो आज चाँद तारे को चुम रहे है ऐ सोच के आगे बड्ड मुझे कुछ करना है मुझे कुछ करना है न डरना रिक्स लेनेसे एकदिन सबको मरना है हम सबको मरना है कुछ ऐसा काम करजावो की दुनिया आपकी किताब लेखे घर हो या लाइब्रेरी हर जगह लोग तुम्हे देखे हर जगह लोग तुम्हे देखे गलत कुछ करना नहीं कभी किसीसे डरना नहीं जीत मिलेगी एक दिन तुम्हे ज़िन्द्दगी से कभी हारना नहीं ज़िन्द्दगी से कभी हारना नहीं ज़िन्दगी तुम्हे बार बार गिराएगी तुम्हे हर बार खड़ा होना है भूलके पहले हार को तुम्हे फिरसे जित की उम्मीद बोना है फिरसे जित की उम्मीद बोना है उन लोगो की बात न सुन्ना जिसने अपनी हार मानी है ऐ दुनिया उसी की है जिसने कुछ करने की ठानी है जिसने कुछ करने की ठानी है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

में ही सचिन हु

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 में ही सचिन हु ----------------- पूरी दुनिया कहती है मुझे में रन बनाने वाला मसीन हु मशीन का तो पता नहीं लेकिन हां में ही सचिन हु कुछ करने बनने की सपना था  दिन रात खेल खेलना सीखता था लेकिन मैदान में जब खेलता था सबको मेरा जादू दीखता था कुछ करने बनने के लिए इंसान न जाने कितना कुछ खोता है जादू भी कोई ऐसे नहीं होता उसके पीछे जादूगर का मेहनत छुपा होता है ज़िन्दगी में इंसान को कभी हार नहीं मान्ना चाइये जिसने कुछ करने की ठानी है और उसने हार नहीं मानी है ओह सबने कामयाबी पाई है इसलिए इंसान को कभी हार नहीं मान्ना चाइये हार नहीं मान्ना चाइये पूरी दुनिया कहती है मुझे में रन बनाने वाला मसीन हु मशीन का तो पता नहीं लेकिन हां में ही सचिन हु  हां में ही सचिन हु लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-जिंदगी एक सोच है

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जिंदगी एक सोच है ------------------------------- आप दुनिया को जिस नज़र से देखोगे दुनिया ठीक ओइसा ही दिखेगा आँखों को नज़र अंदाज़ करके जो दिल की आवाज़ सुनेगा ओ एकदिन दुनिया जीतेगा ओ एकदिन दुनिया जीतेगा आँखों को जो दीखता है इंसान  भी उसी को सच मानने लागता है लेकिन जो इंसान अपनी अंदर की सकती पेहचान पाता है सफलता भी एकदिन उसके पीछे पीछे भाग आता है उसके पीछे पीछे भाग आता है आँखो को जो दीखता है दिमाग ओ ही चीज सीखने लागता है अंतर आत्मा से देखते है जो लोग उसको ऐ दुनिया मे ही सोर्गे दीखने लागता है सोर्गे दीखने लागता है इंसान अपनी मेहनत और हिम्मत से जब चाँद को छूके आ सकता है तो सोचने वाली बात है यारो इंसान चाहे तो क्या नहीं पा सकता है जाहा तक उसकी सोच जा सकता है इंसासन ओ सबकुछ पा सकता है इंसासन सबकुछ पा सकता है कुछ बड़ा करने के लिए अंदर की डर को निकालके हिम्मत और बिस्वास का बीज बोना चाइये इंसान को कुछ बड़ा करने के लिए इंसान नहीं उसकी की सोच बड़ा होना चाइये उसकी की सोच बड़ा होना चाइये लेखक मंजीत छेत्री

कवीता-मुस्किलो को चुनौती दे

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ज़िन्दगी में मुस्किले न आये तो ज़िन्दगी बोर होता है मुस्किलो को चुनौती देते हुवे आगे बाड़नेका मज़ा ही कुछ और होता है मज़ा ही कुछ और होता है बिना संघर्ष का इस दुनिया में किसको सुख मिलता है कमल कीचड़ में तो गुलाब भी काँटों के बीचमे ही खिलता है ज़िन्दगी में मुस्किले बहुत आएंगे हमें जितने के लिए हमेसा तैयार रहना पड़ेगा सुख का आनंद चाइये तो हमें थोड़ा दुःख भी सहना पड़ेगा थोड़ा दुःख भी सहना पड़ेगा मुस्किले हमेसा हमें डराने हराने नहीं आता मेरे दोस्त कभी कभी मुस्किले हम्हारी नैया पार कराने आता है मुस्किले कभी कभी हमें हराती है कभी कभी हमें डराती है लेकिन ऐ जब भी आती है हमें कुच नया सीखा जाती है हमें जीना सीखा जाती है मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-सपना देखना जरुरी है

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सपना देखना जरुरी है ------------------------------- इतना आसान नहीं चलना जो रास्ता तूने चुना है मुस्किले तो बहुत आयंगे क्योंकि तुजे जमीं से उठके आसमा को छूना है  आसमान को छूना है जिसके पास कोई बड़ा सपना नहीं होता है ओ दिन रात सोता है कामयाब ओही इंसान होता है जो बड़े सपने का बीज बोता है जो बड़े सपने का बीज बोता है हर कामयाबी के पीछे उसकी कड़ी मेहनत खून पसीना होता है कामयाब ओही इंसान होता है जो बड़े सपने का बीज बोता है कड़ी धुप बरसात हो या अपनों का ताना तुजे सबकुछ सहना पड़ेगा कामयाबी पाने के लिए अपनों के साथ नहीं सपनो के साथ रहना पड़ेगा जिसदीन तुजे कामयाबी मिलेगी देखना ताने मारने वाले के मुँ में भी मुस्कान खिलेंगे जिसदीन तुजे कामयाबी मिलेगी देखना ताने मारने वाले के मुँ में भी मुस्कान खिलेंगे सपनो के रास्ते चल तू कामयाबी के बाद अपने बहुत मिलेंगे तुझे अपने बहुत मिलेंगे हर कामयाबी के पीछे उसकी कड़ी मेहनत खून पसीना होता है कामयाब ओही इंसान होता है जो बड़े सपने का बीज बोता है जो बड़े सपने का बीज बोता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-अपना लक्ष्य

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अपना लक्ष्य ------------------ दुनिया की बातो में चलेंगे तो खुदका लक्ष्य भूल जायेंगे कुछ अच्छा करनेका सोचके देखो रास्ते हज़ारो खुल जायेंगे रास्ते हज़ारो खुल जायेंगे आप उतना ही आगे बढ़ेंगे जितना बड़ा सपना सजायेंगे दुनिया वालो की तो आदत है आप हार गए तो गाली और जित गए ताली बजायेंगे अच्छाई और सच्चाई जहा हो हमें उसी रास्ते चलना है गलतिया हज़ारो करलो पर कभी किसीका गलत नहीं करना है न किसीसे लड़ना है न किसीसे डरना है डराने वाले बहुत मिलेंगे तुमें हिम्मत से आगे बढ़ना है हिम्मत से आगे बढ़ना है कुछ अलग करके देखो दुनिया तुमसे लड़ेंगे दुनिया तुमसे जलेंगे जिस दिन तुम जित गए देखना दुनिया तुम्हारे पीछे पीछे चलेंगे दुनिया तुम्हारे पीछे पीछे चलेंगे दुनिया की बातो में चलेंगे तो खुदका लक्ष्य भूल जायेंगे कुछ अच्छा करनेका सोचके देखो रास्ते हज़ारो खुल जायेंगे रास्ते हज़ारो खुल जायेंगे लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-आम से खास बन जायेगा

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आम से खास बन जायेगा ------------------------------------ फ़िक्र न कर तू ऐ सोच के कोई नहीं अभी तेरे साथ में तू कुछ ऐसा तूफानी करले एकदिन दुनिया होगी तेरे हाथ में एकदिन दुनिया होगी तेरे साथ में अभी तू आम है तुजे करना बहुत काम है दुनिया न कर पायी जो तू उस काम को अंजाम दे तू उस कामको अंजाम दे सच कह रहा हु अगर तू मेरा बात मान जायेगा देखना एकदिन तू आम से खास बन जायेगा तू आम से खास बन जायेगा खुला रख आँखे और दिल दुनिया को देखते जा जो भी होगा भला बुरा तू बास दिलमे लिखते जा दुनिया तुजे पागल कहेगी तू सबसे अलग कुछ सीखते जा दुनिया पड़ेगी तुजे एकदि इतिहास कुछ ऐसा लिखते जा कुछ ऐसा लिखते जा तेरे हर बात मज़ाक लगेगी दुनिया तेरे बातो से हस्ती है हिम्मत न हार तू चिड़िया भी अपना बिस्वास से डाली पे बस्ती है बिस्वास से डाली पे बस्ती है कितना भी मुस्किले आय कभी किसीको नहीं कहना है गुलाब जैसा खिलके काँटों के बिच रहना है काँटों के बिच रहना है ठोकरे खा खाके सीखते है सफल इंसान कौनसा उप्पर से सबकुछ सिख आता है सफलता उसी को मिलता है जो गिर के फिर से खड़ा हो जाता है फिर से खड़ा हो ज

कविता-किताब पड़ना जरुरी है

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किताब पड़ना जरुरी है -------------------------------- ज़िन्द्दगी सुखी से जीना है तो कुछ बड़ा करना जरुरी है कुछ बड़ा करने के लिए कुछ ज्ञान की किताब पड़ना जरुरी है बिना ज्ञान का जीबन सबका अधूरी है ज़िन्द्दगी सुकून से जीना है तो ज्ञान बहुत जरुरी है ज्ञान बहुत जरुरी है जिसके पास ज्ञान नहीं उसको पूरी दुनिया अँधेरा दीखता है जिसके पास ज्ञान होगा ओह अंधोरो में रहके भी इतिहास लिख जाता है इतिहास लिख जाता है जैसे एक खिलाड़ी चोट लगने के बाद भी गेम जितने के लिए लास्ट तक लड़ते रहता है ठीक ओइस ही एक सफल इंसान दुनिया जितने के लिए हमेसा कुच न कुच पड़ते रहता है ज़िन्द्दगी सुखी से जीना है तो कुछ बड़ा करना जरुरी है कुछ बड़ा करने के लिए कुछ ज्ञान की किताब पड़ना जरुरी है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-बेटी हम्हारी

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बेटी हम्हारी ------------------- देस को चलाये देस को आगे बढ़ाये जन जन को गर्व महसूस कराये बेटी हम्हारी नह मारना बेटी को जनम से पहले कल मेर्रीकॉम हिमा जैसी बनेगी बेटी तुम्हारी दुनिया को हराके देसका नाम आगे बढ़ाके काम किया बेटी ने कुछ एइसा एक दो नहीं कल लाखो बेटी होंगे कल्पना चौला जैसा कड़ी धुप हो या तेज़ बरसात ऐ सबकुछ आसानी से सेहती है बेटी जब गोल्ड मेडेल जित आये तो माँ बाप ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना लेती है अपनी पहचान बना लेती है बहुत हुवा अनन्याय बेटी पे अब ऐ नमूना नहीं चलेगी बेटी को छोड़ दो खुले आसमान में अपनी मर्जी से चलेगी पड़ेगी देखना फिर दुनियाको पीछे छोड़के भारत का नाम रोशन करेगी भारत का नाम रोशन करेगी बात बात पर बेटी को रोक टोक के ना करो बेटी की अपम्मान फौज में हो या ऑलम्पिक हर जगह बेटी ने दिलाया हमें मान सन्मान बेटी ने दिलाया हमें मान सन्मान ना करो भ्रूण हत्या बेटी है देस की आन बान सान ना करो  भ्रूण हत्या बेटी है देस की आन बान सान मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-मेरा जीबन मेरा अधिका

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मेरा जीबन मेरा अधिका ----------------------------- उप्पर वाले ने मुझे बेटी बनाया उसमे मेरी क्या गलती है माँ दुर्गा झाँसी की रानी जैसे बीर पुत्री भूमि में बेटी से समाज क्यों जलती है जो बेटी पूरी ज़िन्दगी घर को मंदिर और परिवार का सेवा को मानती है अपनी पूजा और भक्ति फिर भी अपनी पसंद की कपडे हो या जीबन साथी अपनी इच्छा से क्यों नहीं चुन सकती क्यों नहीं चुन सकती ससूराल हो या हम्हारी समाज बेटी को इतना क्यों सताती है कितना भी अत्तेचार हो बेटी किसीसे कुछ नहीं कहती थी चुप चाप सबकुछ सहती थी जो बेटी परिवार के लिए अपनी कीमती ज़िन्दगी लुटा सकती है फिर ये ना भूले समाज जरुरत पड़ने पर कभी दुर्गा तो कभी झाँसी की रानी जैसे तलवार भी उठा सकती है बेटी तलवार भी उठा सकती है                                writer                                   Manjit chetry

कविता-भारत एक राष्ट्र

भारत एक राष्ट्र ------------------------ न जाने जाती धर्म के नाम पर क्यों इंसान इंसान से लड़ रहा है रोज खबर आती है कही हिन्दू तो कही मुस्लमान मर रहा है उप्पर वाले ने इन्सान बनाया हम सबको फिर हम क्यों ए नहीं सोचते की ओह एक इंसान मर रहा है आज जहा भी देखो बात बात पे जात पात पे बहस हो रहा है इंसान भूलगया की ओह गान्दी आंबेडकर पुरुसोत्तम राम का बिचार धीरे धीरे खो रहा है उप्पर वाले भी देख इंसान को सोचते होंगे मैंने तो इंसान बनाया था लेकिन आज ये क्या होरहा है लेकिन आज ये क्या होरहा है कही हिन्दू तो कही मुस्लमान रो रहा है इंसान भूल गया की ओह इंसानियाद खो रहा है कितना सुन्दर दीखता है जब अलग अलग जाती के फूल एक ही फुलबारी में एकसाथ खिलते है भारत को महाँन राष्ट्र बनाना है आओ दोस्तों जाती धर्म के भेद भाव छोड़के हम सब एक होके गले मिलेंगे देखना फिर हर हिंदुस्तानी के मुँह मे मुस्कान खिलेंगे हर हिंदुस्तानी के मुँह मे मुस्कान खिलेंगे !                  मंजीत छेत्री

कविता- में गरीब ही ठीक हु

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में गरीब ही ठीक हु ----------------------- बड़ा मोबाइल बड़ा घर गाड़ी ए तो सबका दिल चाहता है लेकिन जिसने सबकुछ पा लिया ओ कहा खुश रहता है मुझे भी मालूम है चप्पल से फोटो नहीं खींचा जाता है लेकिन इससे ख़ुशी मिलती है तो खुश होने में क्या जाता है गरीब ही ठीक हु में न ऐसी की चिंता न हीटर की सर्दी गर्मी सब आराम से सेह पाता हु जरूरते पूरी हो न हो कमसे कम खुश तो रेह पाता हु गलत सोच है उसकी जो पैसा को ही ख़ुशी कहता है पैसे तो बहुत लोगो के पास देखता हु पर कहा कोई खुश रहता है खुस रहने के लिए पैसा कामना चाइये ऐ बात हर कोई कहते है लेकिन पैसे तो बोहुतो के पास है हर कोई कहा खुस रहते है गलत है ओह सब लोग जो पैसे कमाके खुश रहने की बात कहता है खुश तो ओह इंसान दिखता है जो दो रोटी खाके झोपड़ियो में रहता है जो झोपड़ियो में रहता है पैसा ही सबकुछ होता तो पैसे वाले आत्मा ह्त्या नहीं करते पैसे से ख़ुशी मिलती तो पैसे वाले सब खुश रहते दुनिया सोचती है की पैसे वालो का ज़िन्दगी में कोई मज़बूरी नहीं होती सच तो ऐ है यारो खुस रहने के लिए पैसे की कोई जरुरी नहीं होती खुस रहने के लिए पैसे की कोई जरुरी नहीं होती

motivation song-अपना ब्रांड बनाना पड़ेगा

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motivation song अपना ब्रांड बनाना पड़ेगा ----------------------------------- रात के बाद सुबह सुबह हम सब जाग जाते है हाथमे टिप्पिन लेके जल्दी जल्दी कामपे भाग जाते है खुदका सपना छोड़ मालिक का सपना पूरा करने लाग जाते है ऐसी है सोच हम्हारी इसलिए हम आगे बड्ड नहीं पाते है हम आगे बड्ड नहीं पाते है अब हमें अपना कुछ प्लान बनाना पड़ेगा डरपोक दिल नहीं मानेगा लेकिन दिलको मानना पड़ेगा दूसरे के साहारे कबतक चल पाएंगे अब अपना भी कुछ ब्रांड बनाना पड़ेगा अब अपना ब्रांड बनाना पड़ेगा चुप छाप अपना रास्ता चल तूजे किसीसे नहीं डरना है मुस्किले तो आयंगे बहुत तूजे हिम्मत से लड़ना है दुसरो के इशारो पे नहीं अब तूजे अपना मर्ज़ी से काम करना है अपना मर्ज़ी से काम करना है डरपोक दिल नहीं मानेगा लेकिन दिलको मानना पड़ेगा दूसरे के साहारे कबतक चल पाएंगा अब तूजे अपना ब्रांड बनाना पड़ेगा अब तूजे अपना ब्रांड बनाना पड़ेगा लेखसक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कबिता-अचम्मा को दुनिया

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नेपाली कबिता अचम्मा को दुनिया ------------------------ गरीब लाइ यो दुनियामा बाचना धेरै सारो छ धनीलाई पोनी यो दुनियामा हासी ख़ुशी बाचना धेरै गारो छ कसरी जिउँदा राम्रो हुन्चा जिबन सोचना धेरै सारो छ सोचना धेरै सारो छ अचम्मा को दुनिया या धनि हुना नी सारो छ गरीब हुना नी सारो छ गरीब हुदा पोनी सबैले हेपदाछांन की भन्ने डर हुँच्चा धनि हुदा पोनी कसैले बाटो छेक्छान की भन्ने डर हुँच्चा गरीबले धन जोड़ना आफ्नो खून पसीना खटाउछा धनीले धन जोड़ना आफ्नो बुध्दि खटाउछा कस्तो अचम्मा को दुनिया यो गरीब लाइ गरीबी ले सताउछा धनि लाइ धनले सताउछा कस्तो अचम्मा को दुनिया छ या धनि हुना नी सारो छ गरीब हुना नी सारो छ धनि हुना नी सारो छ गरीब हुना नी सारो छ मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-में जल हु

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कविता   में जल हु ------------- में ही जल हु में ही जीबन हु मुझे बचाले है इंसान आने वाले पीढ़ी एक एक बून्द के लिए होंगे ना परेशान रोज कपड़े जूते धोके मुझे बर्बाद करना ऐसा क्या जरुरी है इंसान है तू तुजे पता होगा मेरे बिना सबका जीबन अधूरी है जिन्दा रहने के लिए सबको पानी जरुरी है पानी बिना सबका जीबन अधूरी है आने वाले पीढ़ी प्यासे मर ना जाये इसलिए इंसान को पानी बच्चाना जरुरी है पानी बच्चान जरुरी है जो बून्द बून्द पानी के लिए तरस रहा है उनसे पुछो पानी कितना कीमती है आने वाले पीढ़ी के लिए मुझे बचाले है इंसान तुजे मेरा बिनती है तुजे मेरा बिनती है  लेखक मंजीत छेत्री

कविता-पैसा बहुत जरुरी है

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लोग भगवान को लाखो रुपया चढ़ावा चढ़ाते है उनको पैसो का क्या जरुरी है दान देना ही है तो उन भूके नंगे गरीब को दो उनको जिने के लिए पैसा बहुत जरुरी है उनको जिने के लिए पैसा बहुत जरुरी है मन्दिर मे सोना चांदी चढ़ाने से नहीं मिलता पुन्य इतना भूके को खाना और प्यासे को पानी पिलानेसे मिलता है जितना मंदिर के अंदर जब लाखो की गिनती हो रहा होता है मंदिर के बहार बैठा भिख्याऱी भूके नंगे सोरहा होता है भूके नंगे सोरहा होता है उप्पर वाला भी सोचता होगा इंसान इतना मतलबी क्यों हो रहा है कोई एस ओ आराम के लिए लाखो उढ़ा रहा है कोई भूके नंगे सोरहा है लोग भगवान को लाखो रुपया चढ़ावा चढ़ाते है उनको पैसो का क्या जरुरी है दान देना ही है तो उन भूके नंगे गरीब को दो उनको जिने के लिए पैसा बहुत जरुरी है उनको पैसा बहुत जरुरी है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता-चलो कुछ नया शिखते है

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चलो कुछ नया शिखते है -------------------------------- ऐ दुनिया एइसा नहीं है यारो जैसा हमें ऐ दुनिया दीखता है यहाँ ओह ही कामयाब होते है जो रोज कुच नया सीखता है यहाँ रोज लाखो लोग आते है लाखो लोग कुछ किये बिना दुनिया से चले जाते है यहाँ लोग उसीको पागल कहते जो सबसे अलग करना चाहते है  जो लोग कुछ अलग कर जाते है उसको लोग पागल कहते है याद रखना यारो ओहि पागल लोग ही इतिहास लिख पाते है दुनियाको बहुत कुछ सीखा जाते है बहुत कुछ सीखा जाते है उधर बॉर्डर पे सभी जाती धर्म के लोग मिलके दुसमन से लड़ते है इधर हम्हारे नेता जाती धर्म के नाम पर रोज राजनीती करते है यहाँ कोई खाने के लिए जीते है तो कोई जीने के लिए खाते है ऐसे भी लोग है इस दुनिया मे जो रोज खाली पेट सो जाते है रोज खाली पेट सो जाते ऐ दुनिया एइसा नहीं है यारो जैसा हमें ऐ दुनिया दीखता है यहाँ ओह ही कामयाब होते है जो रोज कुच नया सीखता है जो रोज कुच नया सीखता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम