कविता-में जल हु


कविता
  में जल हु
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में ही जल हु में ही जीबन हु
मुझे बचाले है इंसान
आने वाले पीढ़ी एक एक बून्द
के लिए होंगे ना परेशान
रोज कपड़े जूते धोके मुझे
बर्बाद करना ऐसा क्या जरुरी है
इंसान है तू तुजे पता होगा
मेरे बिना सबका जीबन अधूरी है
जिन्दा रहने के लिए सबको पानी
जरुरी है
पानी बिना सबका जीबन अधूरी है
आने वाले पीढ़ी प्यासे मर ना जाये
इसलिए इंसान को पानी बच्चाना
जरुरी है पानी बच्चान जरुरी है
जो बून्द बून्द पानी के लिए तरस रहा है
उनसे पुछो पानी कितना कीमती है
आने वाले पीढ़ी के लिए मुझे बचाले
है इंसान तुजे मेरा बिनती है
तुजे मेरा बिनती है

 लेखक
मंजीत छेत्री

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