कविता:-मेरी आमा मेरी साथी अनपढ़ बैरी हूँन या हूँन लाटी मेरी आमा नै मेरी प्यारी साथी, अनपढ़ बैरी हूँन या हूँन लाटी माया-र बिस्वास गर्नु हुन्छ म माथी, रुन दिनु भएन कहिले मलाई सधै फुर्क्याई लेउनु भयो आफुले दुःख कष्ट सहेर मलाई शुखःमा हुर्क्याई लेउनु भयो, आमाले हुर्क्याई लेउनु भयो मलाई बोकेर खर दाउरा को भारी, मलाई नौतुन लुगा किन्दियेर दशैंमा आफुले लाउनु भयो पुरानो साडी, च्याप्प मेरो हाथ समाई रमाइ-रमाइ हिन्नू हुन्थ्यो, आफु खाली खुट्टा हिनी मेरो लागी नौतन जूत्ता किन्नू हुन्थियो, आफु भोक्कै बसी मलाई आफ्नो दूध चुसाउने मेरी आमा, आफु झरि पानीमा भीझेर मलाई आफ्नो आँचल भित्र लुकाउने मेरी आमा, हजुरको आशीर्वाद ले जिन्दगीमा धेरै अगि बढ़न पाउ, गरीब दुखी हर कसैको सेवा गर्न पाउ, हर दुःख कष्ट संग हाँसी ख़ुशी लड़ना पाउ, हजुरको साथै आफ्नो गाउको नाम रोशन गर्न पाउ, छुट्टिन न-परोस आमा कह
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कविता:-अन्न दाता है किसान
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कविता:-अन्न दाता है किसान बरसात में ओह दिन भर भीगता है कड़ी धुप में ओह दिन भर जलता है कोई इंसान रातको भूका ना सोये ऐ सोचके किसान खेती करता है ऐ सोचके किसान खेती करता है इतना आसान नहीं किसान होना हर कोई कहा किसान बन पाते है बहुत दुःख होता है सरकार जब किसान आत्मा ह्त्या कर मर जाते है बहुत दुःख होता है जब किसान आत्मा ह्त्या कर मर जाते है इतना आसान नहीं किसान होना हर कोई कहा किसान बन पाते है बहुत बड़ा दिल होता है किसानका हमें खाना खिलाके खुद भूका सो जाता है गलत बात है सरकार इतना खून पसीना बहाके उगाय फसल उनको सही दाम नहीं मिल पाता है उनको सही दाम नहीं मिल पाता है इतना बड़ा बजड बनाती है किसान का सरकार ना जाने ओह बजड कहा जाता है किसान बिचारे को कुच नहीं मिल पाता है पेपर में ही योजना बनती है या फिर कोई पूरा बजड ही खा जाते है इतना खून पसीना बहाके भी किसान को सरकार सही दाम क्यों नहीं मिल पाता है किसान को सही दाम क्यों नहीं मिल पाता है कीचड़ गोबर में किसान को देख लोग आंख नाक बंद करके उसके पास से गुजर जाते है उनको जारा सोचना चाइये ओह लोग रातको डाइनिंग में बैठ के ओ
कविता:- हमें अपना पहचान बनाना है
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कविता:- हमें अपना पहचान बनाना है हमें न किसीसे डरना है हमें न किसीको डराना है मिली है ज़िन्द्दगी तो अपना एक अलग पहचान बनाना है अपना अलग पहचान बनाना है हमें नहीं किसीसे रूठना है नहीं रूठने वालोको मानाना है चलना है हमें अपने ही अंदाज़मे क्योंकी हमें अपना अलग पहचान बनाना है अपना अलग पहचान बनाना है इतनी आशानि से सफलता नहीं मिलती सफलता के लिए हमें हर चुनौती से लड़ना पडेगा अपना अलग पहचान बनाना है तो हमें इतना मेहन्नत तो करना पडेगा इतना मेहन्नत तो करना पडेगा कांटे पत्थर दुःख दर्द बहुत मिलेंगे इस रास्तेमे हमें खुदको सम्हाल के चलना पड़ेगा अपना अलग पहचान बनाना है तो हमें इतना मेहन्नत तो करना पडेगा इतना मेहन्नत तो करना पडेगा हमें न किसीसे डरना है हमें न किसीको डराना है मिली है ज़िन्द्दगी तो अपना एक अलग पहचान बनाना है अपना अलग पहचान बनाना है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम
कविता:- हर किसीकी इज्जत होता है
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कविता:- हर किसीकी इज्जत होता है घर है मेरा हम घरमे बैठके बात कर सकते है रस्ते में इसतरह किसी से कभी न लड़ना किसीको इज्जत नहीं कर सकते तो किसीका बिज्जति भी मत करना किसीका बिज्जति मत करना घरकी बाते घरमे कर लेना तुम इसतरह रस्ते में न लड़ो मुझसे ना सही तुम उस खुदा से तो जरा डरो घरमे मुझे दो थप्पड़ मारलेना पर इसतरह रस्ते में कभी बंदामि ना करो रस्ते में कभी बंदामि ना करो बहुत दुःख होता है हर किसीको जब ओह रस्ते में बिज्जत होता है ज़िन्दगी भर की कमाई जब पल भरमे कोई खोता है तुम्हारे नज़र में गिरा हुवा ही क्यों ना हो पर हर किसीकी अपनी इज्जत होता है हर किसीकी अपनी जगह इज्जत होता है इंसान से ना सही तुम उस खुदा से तो जारा डरो किसीको इज्जत नहीं कर सकते तो किसीका बिज्जत भी ना करो किसीका बिज्जाति ना करो लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम
कविता:- कोसिस करने वाले को कामयाबी मिलता है
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कविता:- कोसिस करने वाले को कामयाबी मिलता है मुस्किलो के रस्ते जो चल पाता है ओ हि इंसान जिंददगी में सफल हो पाता है लेकिन ऐ बात हर किसीको कहा समज आता है जिसको होगी भूख कुच बड़ा करनेकी ऐ बात सिर्फ ओहि समज पाता है सिर्फ ओहि समज पाता है कुच बड़ा करने के लिए कुच तो रिक्स लेना पड़ता है सफलता पाने के लिए अपना खून पसीना सबकुच देना पड़ता है इस रास्ते मे दुःख दर्द बहुत मिलेगा इसको सेहेना पड़ेगा मुस्किले बहुत आएंगे सफलता के रस्ते हमें उस दुःख दर्द को हस्ते हस्ते सेहेना पडेगा अपनों के साथ छोड़ हमें अकेले रेहेना पडेगा कुच पाने के लिए हमें बहुत कुच खोना पड़ेगा कुच पाने के लिए कुच खोना पड़ेगा कभी ख़ुशी से तो कभी गंमसे रोना पडेगा ज़िन्दगी में कामयाबी चाइये तो हर मुश्किलो से लड़ना पड़ेगा लड़ने के लिए हमेशा त्यार होना पडेगा मानता हु थोड़ा मुश्किल है सफर मुस्किलो के बिच कीचड़ में ही अक्सर कमल खिलता है क्या कसूर था गुलाब का ओह काँटों के बिच खिलता है कोसिस करने वाले को कामयाबी जरूर मिलता है कोसिस करने वाले को कामयाबी जरूर मिलता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम
कविता:-में एक राइटर हु
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कविता:-में एक राइटर हु खुदमे खोया खोया रहता हु क्योंकी में एक राइटर हु सब्दो को जोड़ने तोड़ने वाला में फाइटर हु में राइटर हु राइटर ही है जो सोया हुवा को जगा सकते है बोम बारूद की जरुरत नहीं हमें हम कलम से ही आग लगा सकते है कलम ही है जो घुंगे बेहरे को भी जीना सिखाता है कोई बोल न पाए ओह लिख के अपनी बात बोल पाते है राइटर ही है ओह जो दुनिया के सामने सच्चाई खोल पाते है जुबा से ज्यादा ईस दुनियामे कलम की ज्यादा चलती है कलम को देख अच्छे अच्छे की फैटति है क्योंकी इसको झूट से ज्यादा सच दिखता है जो दिखा है राइटर ने ओह हमेसा लिखा है इसी खूबी के चलते डिजिटल दुनिया में भी कलम टिक पाया है कलम टिक पाया है इसलिए घुंगे भी पड़ लीख पाया है जीने की वजह सिख पाया है खुदमे खोया खोया रहता हु क्योंकी में एक राइटर हु सब्दो को जोड़ने तोड़ने वाला
कविता:-खुद कुछ करना होगा
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कविता:-खुद कुछ करना होगा सपनो की मंजिल पाना है तो तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल रोज कुछ पड़ते लिखते चल टाइम पास न कर तू कुछ न कुछ करते चल कब कहा मिलेगी पता नही कामयाबी का कोई ठिकाना नहीं तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल पड़ने लाइक कुछ लिखते चल लिखने लाइक कुछ पड़ते चल टाइम पास न कर ज़िन्दगी में कुछ ना कुछ करते चल मुस्किले मिलेगी बहुत उस रस्ते में तुझे मुस्किलो से लड़ना पडेगा ऐसे नहीं मिलती कामयाबी उसके लिए दिन रात संघर्ष करना पडेगा अपने को छोड़ तुझे सपनो के साथ चलना पड़ेगा कामयाबी चाइये तो मुस्किलो से लड़ना पडेगा गिराएगी दुनिया तुम्हे हज़ार बार तुम्हे उठके फिर चलना होगा कामयाबी के लिए तुमें दिनरात एक करना होगा दुसरो से नहीं तुम्हे खुदसे लड़ना होगा कामयाब होना है ज़िन्दगी में तो तुम्हे कुछ लिखना कुछ पढ़ना होगा दुसरो के भरोसे नहीं तुम्हे खुद कुछ करना होगा तुम्हे खुद कुछ करना