कविता:-खुद कुछ करना होगा
कविता:-खुद कुछ करना होगा
सपनो की मंजिल पाना है तो
तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल
रोज कुछ पड़ते लिखते चल
टाइम पास न कर तू
कुछ न कुछ करते चल
कब कहा मिलेगी पता नही
कामयाबी का कोई ठिकाना नहीं
तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल
पड़ने लाइक कुछ लिखते चल
लिखने लाइक कुछ पड़ते चल
टाइम पास न कर ज़िन्दगी में
कुछ ना कुछ करते चल
मुस्किले मिलेगी बहुत उस रस्ते में
तुझे मुस्किलो से लड़ना पडेगा
ऐसे नहीं मिलती कामयाबी
उसके लिए दिन रात संघर्ष करना पडेगा
अपने को छोड़ तुझे
सपनो के साथ चलना पड़ेगा
कामयाबी चाइये तो मुस्किलो से
लड़ना पडेगा
गिराएगी दुनिया तुम्हे हज़ार बार
तुम्हे उठके फिर चलना होगा
कामयाबी के लिए तुमें दिनरात
एक करना होगा
दुसरो से नहीं तुम्हे खुदसे लड़ना होगा
कामयाब होना है ज़िन्दगी में तो
तुम्हे कुछ लिखना कुछ पढ़ना होगा
दुसरो के भरोसे नहीं तुम्हे खुद
कुछ करना होगा
तुम्हे खुद कुछ करना होगा
लेखक मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
सपनो की मंजिल पाना है तो
तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल
रोज कुछ पड़ते लिखते चल
टाइम पास न कर तू
कुछ न कुछ करते चल
कब कहा मिलेगी पता नही
कामयाबी का कोई ठिकाना नहीं
तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल
पड़ने लाइक कुछ लिखते चल
लिखने लाइक कुछ पड़ते चल
टाइम पास न कर ज़िन्दगी में
कुछ ना कुछ करते चल
मुस्किले मिलेगी बहुत उस रस्ते में
तुझे मुस्किलो से लड़ना पडेगा
ऐसे नहीं मिलती कामयाबी
उसके लिए दिन रात संघर्ष करना पडेगा
अपने को छोड़ तुझे
सपनो के साथ चलना पड़ेगा
कामयाबी चाइये तो मुस्किलो से
लड़ना पडेगा
गिराएगी दुनिया तुम्हे हज़ार बार
तुम्हे उठके फिर चलना होगा
कामयाबी के लिए तुमें दिनरात
एक करना होगा
दुसरो से नहीं तुम्हे खुदसे लड़ना होगा
कामयाब होना है ज़िन्दगी में तो
तुम्हे कुछ लिखना कुछ पढ़ना होगा
दुसरो के भरोसे नहीं तुम्हे खुद
कुछ करना होगा
तुम्हे खुद कुछ करना होगा
लेखक मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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