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Showing posts from March, 2020

कविता:-अन्न दाता है किसान

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कविता:-अन्न दाता है किसान बरसात में ओह दिन भर भीगता है कड़ी धुप में ओह दिन भर जलता है कोई इंसान रातको भूका ना सोये ऐ सोचके किसान खेती करता है ऐ सोचके किसान खेती करता है इतना आसान नहीं किसान होना हर कोई कहा किसान बन पाते है बहुत दुःख होता है सरकार जब किसान आत्मा ह्त्या कर मर जाते है बहुत दुःख होता है जब किसान आत्मा ह्त्या कर मर जाते है इतना आसान नहीं किसान होना हर कोई कहा किसान बन पाते है बहुत बड़ा दिल होता है किसानका हमें खाना खिलाके खुद भूका सो जाता है गलत बात है सरकार इतना खून पसीना बहाके उगाय फसल उनको सही दाम नहीं मिल पाता है उनको सही दाम नहीं मिल पाता है इतना बड़ा बजड बनाती है किसान का सरकार ना जाने ओह बजड कहा जाता है किसान बिचारे को कुच नहीं मिल पाता है पेपर में ही योजना बनती है या फिर कोई पूरा बजड ही खा जाते है इतना खून पसीना बहाके भी किसान को सरकार सही दाम क्यों नहीं मिल पाता है किसान को सही दाम क्यों नहीं मिल पाता है कीचड़ गोबर में किसान को देख लोग आंख नाक बंद करके उसके पास से गुजर जाते है उनको जारा सोचना चाइये ओह लोग रातको डाइनिंग में बैठ के ओ

कविता:- हमें अपना पहचान बनाना है

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कविता:- हमें अपना पहचान बनाना है हमें न किसीसे डरना है हमें न किसीको डराना है मिली है ज़िन्द्दगी तो अपना एक अलग पहचान बनाना है अपना अलग पहचान बनाना है हमें नहीं किसीसे रूठना है नहीं रूठने वालोको मानाना है चलना है हमें अपने ही अंदाज़मे क्योंकी हमें अपना अलग पहचान बनाना है अपना अलग पहचान बनाना है इतनी आशानि से सफलता नहीं मिलती सफलता के लिए हमें हर चुनौती से लड़ना पडेगा अपना अलग पहचान बनाना है तो हमें इतना मेहन्नत तो करना पडेगा इतना मेहन्नत तो करना पडेगा कांटे पत्थर दुःख दर्द बहुत मिलेंगे इस रास्तेमे हमें खुदको सम्हाल के चलना पड़ेगा अपना अलग पहचान बनाना है तो हमें इतना मेहन्नत तो करना पडेगा इतना मेहन्नत तो करना पडेगा हमें न किसीसे डरना है हमें न किसीको डराना है मिली है ज़िन्द्दगी तो अपना एक अलग पहचान बनाना है अपना अलग पहचान बनाना है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:- हर किसीकी इज्जत होता है

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कविता:- हर किसीकी इज्जत होता है घर है मेरा हम घरमे बैठके बात कर सकते है रस्ते में इसतरह किसी से कभी न लड़ना किसीको इज्जत नहीं कर सकते तो किसीका बिज्जति भी मत करना किसीका बिज्जति मत करना घरकी बाते घरमे कर लेना तुम इसतरह रस्ते में न लड़ो मुझसे ना सही तुम उस खुदा से तो जरा डरो घरमे मुझे दो थप्पड़ मारलेना पर इसतरह रस्ते में कभी बंदामि ना करो रस्ते में कभी बंदामि ना करो बहुत दुःख होता है हर किसीको जब ओह रस्ते में बिज्जत होता है ज़िन्दगी भर की कमाई जब पल भरमे कोई खोता है तुम्हारे नज़र में गिरा हुवा ही क्यों ना हो पर हर किसीकी अपनी इज्जत होता है हर किसीकी अपनी जगह इज्जत होता है इंसान से ना सही तुम उस खुदा से तो जारा डरो किसीको इज्जत नहीं कर सकते तो किसीका बिज्जत भी ना करो किसीका बिज्जाति ना करो लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:- कोसिस करने वाले को कामयाबी मिलता है

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कविता:- कोसिस करने वाले को कामयाबी मिलता है मुस्किलो के रस्ते जो चल पाता है ओ हि इंसान जिंददगी में सफल हो पाता है लेकिन ऐ बात हर किसीको कहा समज आता है जिसको होगी भूख कुच बड़ा करनेकी ऐ बात सिर्फ ओहि समज पाता है  सिर्फ ओहि समज पाता है कुच बड़ा करने के लिए कुच तो रिक्स लेना पड़ता है सफलता पाने के लिए अपना खून पसीना सबकुच देना पड़ता है इस रास्ते मे दुःख दर्द बहुत मिलेगा इसको सेहेना पड़ेगा मुस्किले बहुत आएंगे सफलता के रस्ते हमें उस दुःख दर्द को हस्ते हस्ते सेहेना पडेगा अपनों के साथ छोड़ हमें अकेले रेहेना पडेगा कुच पाने के लिए हमें बहुत कुच खोना पड़ेगा कुच पाने के लिए कुच खोना पड़ेगा कभी ख़ुशी से तो कभी गंमसे रोना पडेगा ज़िन्दगी में कामयाबी चाइये तो हर मुश्किलो से लड़ना पड़ेगा लड़ने के लिए हमेशा त्यार होना पडेगा मानता हु थोड़ा मुश्किल है सफर मुस्किलो के बिच कीचड़ में ही अक्सर कमल खिलता है क्या कसूर था गुलाब का ओह काँटों के बिच खिलता है कोसिस करने वाले को कामयाबी जरूर मिलता है कोसिस करने वाले को कामयाबी जरूर मिलता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-में एक राइटर हु

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     कविता:-में एक राइटर हु     खुदमे खोया खोया रहता हु     क्योंकी में एक राइटर हु     सब्दो को जोड़ने तोड़ने वाला      में फाइटर हु में राइटर हु    राइटर ही है जो सोया हुवा को             जगा सकते है      बोम बारूद की जरुरत नहीं हमें     हम कलम से ही आग लगा सकते है      कलम ही है जो घुंगे बेहरे को भी               जीना सिखाता है      कोई बोल न पाए ओह लिख के          अपनी बात बोल पाते है      राइटर ही है ओह जो दुनिया के         सामने सच्चाई खोल पाते है    जुबा से ज्यादा ईस दुनियामे कलम की                  ज्यादा चलती है    कलम को देख अच्छे अच्छे की फैटति है          क्योंकी इसको झूट से ज्यादा               सच दिखता है        जो दिखा है राइटर ने ओह                हमेसा लिखा है         इसी खूबी के चलते डिजिटल         दुनिया में भी कलम टिक पाया है         कलम टिक पाया है इसलिए             घुंगे भी पड़ लीख पाया है         जीने की वजह सिख पाया है         खुदमे खोया खोया रहता हु             क्योंकी में एक राइटर हु           सब्दो को जोड़ने तोड़ने वाला        

कविता:-खुद कुछ करना होगा

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कविता:-खुद कुछ करना होगा      सपनो की मंजिल पाना है तो  तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल        रोज कुछ पड़ते लिखते चल         टाइम पास न कर तू        कुछ न कुछ करते चल      कब कहा मिलेगी पता नही    कामयाबी का कोई ठिकाना नहीं   तेज़ रख दिमाग चारो और देखते चल      पड़ने लाइक कुछ लिखते चल      लिखने लाइक कुछ पड़ते चल       टाइम पास न कर ज़िन्दगी में         कुछ ना कुछ करते चल     मुस्किले मिलेगी बहुत उस रस्ते में       तुझे मुस्किलो से लड़ना पडेगा        ऐसे नहीं मिलती कामयाबी    उसके लिए दिन रात संघर्ष करना पडेगा           अपने को छोड़ तुझे      सपनो के साथ चलना पड़ेगा      कामयाबी चाइये तो मुस्किलो से              लड़ना पडेगा       गिराएगी दुनिया तुम्हे हज़ार बार        तुम्हे उठके फिर चलना होगा        कामयाबी के लिए तुमें दिनरात             एक करना होगा       दुसरो से नहीं तुम्हे खुदसे लड़ना होगा         कामयाब होना है ज़िन्दगी में तो       तुम्हे कुछ लिखना कुछ पढ़ना होगा          दुसरो के भरोसे नहीं तुम्हे खुद               कुछ करना होगा          तुम्हे खुद कुछ करना

कविता:- माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु

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कविता:- माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु भारत माँ आज में तुझे कुछ कहना चाहता हु जन्म से तेरा गोदमे पला बड़ा माँ अब में तेरा सेवा करना चाहता हु माँ अब में तेरा सेवा करना       चाहता हु तेरी रक्षा करते जीना और तेरी रक्षा करते मरना चाहता हु इतना हक़ दे माँ मुझे में तेरा सेवा करना चाहता हु में तेरा सेवा करना चाहता हु तेरी और कोई बुरी नज़र ढाले उसकी आँखे फोड़ दूंगा हाथ लगाए कोई तुझे तो उसका हाथ तोड़ उसकी सर फोड़ दूंगा प्यार से मांगे कोई पानी तो हम उसको दाल भात देंगे कोई मेरी मातृ भूमि छीनने की कोसिस करे तो उसकी गर्दन काट देंगे हम उसकी गर्दन काट देंगे तेरी रक्षा करते जीना तेरी रक्षा करते मरना चाहता हु इतना हक़ दे माँ मुझे में तेरा सेवा करना चाहता हु माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु     लेखक मंजीत छेत्री          तेज़पुर असम

कविता:- मुस्किलो से लड़ना सीखो

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कविता:- मुस्किलो से लड़ना सीखो ऐ दुनिया अंजानी नहीं हम सबके जानि पहचानी है यहाँ जो भी हो रहा है सब खुदा की मन मानि है आपको ओहि मिलेगा जो आप चाहोगे कुछ नहीं चाहोगे तो रस्ते भटक जाओगे ज़िन्दगी मिली है ज़िन्दगी को पढ़ना सीखो मुस्किले तो खुदा को भी आयी है तुम मुस्किलो से लड़ना सीखो दुसरो पे बहाना न बनाओ खुद कुछ करना सीखो कामयाबी चाइये तो मुस्किलो से लड़ना सीखो भीड़मे नहीं अकेले चलना सीखो हर जगह हर कोई तुम्हे पड़े ज़िन्दगी में कुछ ऐसी बात लिखो अकेले चल अपने रस्ते वहा कोई खींच तान नहीं अकेले चलना थोड़ा मुश्किल है मुस्किलो से डर जाये कोई तो ओह इंसान नहीं बिना संघर्ष किये कामयाबी किसको मिलती है क्या कसूर था उस गुलाब का जो काँटों के बिच खिलता है संघर्ष करने वालेको एकदिन कामयाबी जरूर मिलता है संघर्ष करने वाले को कामयाबी जरूर मिलता है         लेखक        मंजीत छेत्री         तेज़पुर असम

कविता:- जीने की वजह ढूंढ़ना चाइये

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कविता:- जीने की वजह ढूंढ़ना चाइये बोलना ही काफी नहीं हमें सुन्ना भी चाइये ज़िन्द्दगी दी है खुदाने तो जीने की वजह  ढूंढ़ना चाइये ज़िन्द्दगी में हमें बोल से ज्यादा सुन्ना चाइये हमें सुन्ना चाइये मिल जाते है ढूंडने से खुदा तो हमें भी कुछ ढूंडना पडेगा सफलता के लिए आशान नेही मुश्किल राह चुनना चाइये इतिहास गवा है आज भी मुस्किलो से लड़ने वाले हर किसीने कामयाबी पाई है मिल जाते ढूंढने से खुदा  हमें तो खुदकी ताकत ढूंढना है दुनिया में आके कुछ कर पाय ऐसे रस्ते ढूंढना है जब सपना चुनना ही है तो कुछ बड़ा चुनना है हमें कम बोलके ज्यादा सुन्ना है मिल जाय कामयाबी एकदिन हमें कुछ ऐसे रस्ते चुनना है लोग खुदा भी ढूंढ निकालते है हमें तो अंदर खुदको ढूंढ़ना है बोलना ही काफी नहीं हमें सुन्ना भी चाइये ज़िन्द्दगी दी है खुदाने तो हमें जीने की वजह ढूंडा चाइये जीने की वजह ढूंढ़ना चाइये       लेखक      मंजीत छेत्री     तेज़पुर असम

कविता:-डिग्री नहीं हुनर बोलता है

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कविता:-डिग्री नहीं हुनर बोलता है तू ऐ नहीं कर सकता तू ओह नहीं कर सकता तू जबतक पड़ नहीं सकता तू कुछ कर नहीं सकता बचप्पन से सुनते आया ऐ सब बात सुनके आज भी मेरा खून खोलता है ऐ डिग्री डिग्री कहने वालो ज़ारा इतिहास पड़लो समज आएगा तुम्हे एक सफल योध्य का डिग्री नहीं उसका हुनर बोलता है उसका हुनर बोलता है जितना चादर उतना पॉउ फैलाओ ऐ बहुत पुरानी बात है आजके हुनर वाले को सफलता से रोक के दिखादे ऐ कागज के डिग्री तेरी कहा इतनी ओकात है तेरी कहा इतनी ओकात है सपने देखना ही है तो छोटे क्यों सपने हमेशा बड़े दिखना चाइये अरे डिग्री नहीं तो क्या हुवा डिग्री वाले को पड़ने लाइक कुछ लिखना चाइये बहुत बड़े बड़े अनपड़ हुनर वाले दिखेंगे आपको इतिहास पढ़ना चाइये अपनी डिग्री पे नहीं अपनी हुनर पे बिस्वास करना चाइये अपनी हुनर पे बिस्वास करना चाइये           लेखक          मंजीत छेत्री          तेज़पुर असम

कविता:- कमजोर ना समझे नारी को

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कविता:- कमजोर ना समझे नारी को कमजोर ना समझे दुनिया हमें हम नारी सकती शाली है झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे कमजोर ना समझे दुनिया हमें हम नारी सकती शाली है हम नारी सकती शाली है घरसे लेके खेत तक नारी की जिम्मेदारी है खेल कूद शिक्षा हो या देस सेवा सबमे नारी की हिस्सेदारी है  कमजोर ना समज नारी को नारी चाहे कुछ भी कर सकती है एक नारी दुनियापे भारी पड़ सकती है बेटी जन्मी घरमें खुश होना चाइये घरसे लेके खेत खेतसे लेके अन्तरिक्ष तक नारी छायी है बेटी जन्मी घरमें तो आपको दुखी नहीं खुश होना चाइये कमजोर ना समझे दुनिया हमें हम नारी सकती शाली है झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे      लेखक     मंजीत छेत्री    तेज़पुर असम

कविता:-कुछ कर जाना है

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कविता:-कुछ कर जाना है हर किसीकी दिलकी चाहत होती है अपना भी कुछ चाहना है बहुत कुछ खोये ज़िन्द्दगी मे अब खुदमे क्रांति लाना है मेरी बात भी सुनले खुदा बास यही मेरी चाहना है जाते जाते ज़िन्द्दगी में इतिहास लिख जाना है धुप हो या बरसात में सबकुच झेल जाऊंगा आग लगी है दिलमे कुछ कर जाने की अब में आग से भी खेल जाऊंगा देखते देखते एकदिन में भी आम से खाश बन जाऊंगा बचप्पन से सपना था कुछ करनेका अब में भी कुछ कर पाऊंगा हर किसीको रोटी कपड़ा मकान मिले ऐसा कुछ कर जाना है बास यही मेरी एक चहाना है बस यही मेरी चाहना है हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम सब मिलके साथ चलेंगे जन्म मिला भारत माँ के गोदमे भारत माँ के लिए कुछ कर जाना है सुनले खुदा मेरी पुकार बास यही मेरा चाहना है जाते जाते इस दुनियासे भारत माँ के लिए कुछ कर जाना है बास यही मेरी चाहना है बास यही मेरी चाहना है       लेखक      मंजीत छेत्री      तेज़पुर असम

कविता-:सपना देखना जरुरी है

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कविता-:सपना देखना जरुरी है खुली आंख से सपना देखा जिसने उसने अपनी मंजिल पायी है देखना ही है सपना तो कुछ बड़ा देखना चाइये खुली आँख से जिसने देखा सपना उसने अपनी मंजिल पाई है उसने अपनी मंजिल पाई है जिसमे हिम्मत होगी बड़े सपने देखने की ओह ही दुनिया में कुछ बड़ा कर पाते है होंगे जिसके बड़े सपने कुछ कर जाने की ओइसे लोग चाय बेचते बेचते पीएम बन जाते है होंगे जिसके बड़े सपने ओह ही ऐसा काम कर पाते है ओह इतिहास लिख जाते है ओह इतिहास लिख पाते है देखलो जितना बड़ा सपना देख सको सपने देखने में किसका क्या जाता है देखा सपना जिसने कुछ बड़ा करनेका ओह चाय बेचते बेचते पीएम  बन जाते है सपने देखने वाले ही कुछ बड़ा कर पाते है इतिहास लिख जाते है खुली आँखसे सपने देखने वाले कुछ बड़ा कर जाते है ओह इतिहास लिख जाते है ओह इतिहास लिख जाते है       लेखक      मंजीत छेत्री      तेज़पुर असम

कविता:- में आजकी मॉर्डन लड़की हु

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कविता:- में आजकी मॉर्डन लड़की हु ---------------------------------- हां में आजकी मॉर्डन लड़की हु व्हाट्सप्प फेसबुक ट्वीटर सबकुछ चलाती हु घरका सारा काम करके फिर बच्चो को ट्युशन पड़ाती हु सर झुकाके नहीं में सर उठाके अकेले चलती हु में किसीसे नहीं डरति हु क्योंकि में खुदकी कमाई करती हु हा में खुदकी कमाई करती हु आज में सभी लड़की को एक सला देती हु धियांनसे सुनो दोस्तों में क्या कहती हु अभी हमें खूब पड़ना है शादी के चक्करमें अभी नहीं पड़ना है क्योंकि हमें नारी सबसे सकती साली बनना है हमें किसी दरिंदो से नहीं डरना है हमें अन्याय अत्तियाचार से लड़ना है हमें देस के लिए कुछ करना है बहुत सर झुकाके चली नारी अब हमें सर उठाके चलना है अब हमें सर उठाके चलना है    लेखक-:मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-चलो हम सब मिलके होली खेलते है

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कविता:-चलो हम सब मिलके होली खेलते है ------------------------------------------------- ब्लैक एंड वाइट होगयी ज़िन्द्दगी हर तरफ शोर शारावा और दंगोसे चलो यारो सब मिलके रंगीन बनाते हे ज़िन्दगी होली के रंगोंसे यारो होली के रंगोंसे हम सबका खून हिन्दुस्तानी है फिर क्यों हम वापस में लड़ते है हम वापस में लड़ते है तभी तो राज नेता धर्म पर राजनीती करते है धर्म पर राजनीती करते है क्या हिन्दू क्या मुस्लिम चलो यारो हम सब रंग जाते है होली के रंगसे जिंददगी जीना है हम सबको हिन्दुस्तानी ढंगसे यारो हिन्दुस्तानी ढंगसे हम सब हिन्दुस्तानी है फिर क्यों कोई हिन्दू कोई मुस्लिम सोचते है बहुत हुवा जात पात की बाते अब चलो कुच बतन के लिए सोचते है चलो कुच बतन के लिए सोचते है हम सब हिन्दुस्तानी है फिर क्यों कोई हिन्दू कोई मुस्लिम सोचते है आयी है होली की तिवार तो चलो यारो कुच अलग खोजते है हिन्दू मुस्लिम छोड़के अब बतन के बारे में सोचते है अब बतन के बारे में सोचते है मिलके खेलेंगे हम सब होली ऐ दुसमन तू भी एकबार हिन्दुस्तानी का प्यार देखले जात पात की राजनीति छोड़ो हम सब हिन्दुस्तानी एक है

शायरी:-फिर आयी तेरी याद

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शायरी:- फिर आयी तेरी याद ------------------------- मेरे लिए एकदिन तू लव लेटर लिखतिथि गुज़रताथा जबभी तेरे गल्लीसे तो तू मुझे बेलकोनी से देखती थी तू मुझे बेलकोनी से देखती थी ऐैसे तू भूल गयी होगी ए सब बहुत पुरानी बात है वीडियो कॉल करती होगी चाहने वाले को आजतो 4G मोबाइल तेरे साथ है 4G तेरे साथ है जबसे चुराके लेगयी दिल मेरा तबसे भूक लगता न रात को नींद आती है रोता हु तेरे यादोमे आज भी सनम जबभी तेरी याद आती है ओह दिन बहुत याद आती है अनजान कहु या ना समज तू सरारत बहुत करती थी बात बात पर हर बात पर तू मुझसे लड़तीथी शायद तब तू मुझसे प्यार करतीथी शायद तब तू मुझसे प्यार करतीथी बहुत याद आता है ओह दिन जब तू लव लेटर मुझे स्कूल की खिड़की से देती थी आज भी पड़ता हु ओह चिट्ठी तो खो जाता हु तेरे याद में  सचमे तूने उसमे क्या गजब शायरी लिखी थी क्या गजब शायरी लिखी थी जबसे चुराके लेगयी दिल मेरा तबसे भूक लगता ना रात को नींद आती है रोता हु तेरे यादोमे आज भी सनम जबभी तेरी याद आती है ओह दिन बहुत याद आती है ओह दिन बहुत याद आती है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

शायरी:-मानजा प्यार से बोल रहा हु

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शायरी मानजा प्यार से बोल रहा हु ---------------------------------- हर बार रिप्लाई में ना ना ही क्यों करती हो एकदिन सोना ही हे किसीके बाहोमें तो मुझे हां बोलनेसे इतना क्यों डरती हो मुझसे इतना क्यों डरती हो तू मेरी सबसे प्यारी साथी है इसलिए तुझसे कभी कभी लड़ता हु कस्सम हे खुदा की सचमे तुझे बहुत प्यार करता हु तुझे बहुत प्यार करता हु सबसे खास हे तू मेरे लिए तुझे खोनेसे डरता हु तुझे पाने के चक्करमें ना जाने  रोज कितनो से लड़ता हु ना जाने रोज कितनो से लड़ता हु अजमाके देखले एकबार तेरे लिए कुछ भी कर जाऊंगा कस्सम हे खुदाकी तुझे पाने के खातिर में दुनियासे लड़जाउँगा में दुनियासे लड़जाउँगा तूने क्या सोची तू अपने भाईकी धमकी देगी और में आशिक डर जाऊंगा तेरे भाईके नज़रे चुराके भाग आएगी एकदिन मेरे साथ देखना कुछ ऐसा जादू कर जाऊंगा मानजा प्यार से बोल रहा हु तुझे वरना उठाके ले जाऊंगा वरना उठाके ले जाऊंगा लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

आखिर माँ तो माँ होती है

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आखिर माँ तो माँ होती है हमें चारपाई पे सुलाके ओह खुद जमीपे सोती है एकटाइम खाना ना खाय बच्चा तो ओह परेशान होती है घरके बर्त्तन हो या कपड़ा ओह सब अकेले धोती है सचमे यारो आखिर माँ तो माँ होती है आखिर माँ तो माँ होती है सुबह सबसे पहले उठके रातको सबसे लास्ट में ओह सोती है परिवार सुखी रहे इसलिए ओह खुद परेशान होती है परिवार सम्हालते सम्हालते ओह अपना सारा सपना खोती है सचमे यारो आखिर माँ तो माँ होती है आखिर माँ तो माँ होती है ओह अपना माँ बाप घर परिवार भुलाके एक अनजान इंसान के साथ रहती है जिंदगी में ओह ना जाने कितना दुःख दर्द सेहती है फिर भी ओह किसीसे कुच नहीं कहती है कभी दिल दुखाय कोई उसको तो ओह एकेले में रोती है सचमे यारो आखिर माँ तो माँ होती है आखिर माँ तो माँ होती है गलती होगयी माँ से तो माँ को नहीं उसकी गलती को भुलाना यारो माँ के बिना दुनिया अधूरा है माँ को कभी ना रुलाना यारो माँ को कभी ना रुलाना MOMS IS GREAT LOVE YOU MOM लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम 

कविता:-जुल्म् ना कर नारी पे

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कविता जुल्म् ना कर नारी पे ------------------------------------ इसतरह जुल्म न कर किसी नारी पर तुझे महा पाप होगा याद रखना ए हैवान तू भी एकदिन किसी लड़की का बाप होगा तू भी एकदिन लड़की का बाप होगा इंसान है ओह नारी उसको भी दर्द होता है नारी को मारने वाले मर्द नहीं नामर्द होता है नारी को मारने वाले नामर्द होता है घरका सारा काम अकेले करके तेरे माँ भाई बहन सबका गाली चुप चाप सेहती है अपना दुःख दर्द अपने माँ बाप को भी नहीं कहती है तेरा घरका पूरा बोज अपने सरपे लेके रातको तेरा साथ देती है इसतरह जुल्म न कर नारी को ओह भी किसीकी बहन बेटी है ओह भी किसीकी बेटी है सुख नहीं दे सकता तो उसको दुःख भी न दे झगड़े होते है कभी तो मुस्कुराके एकबार sorry केहदे जान भी दे देगी ओह तुझे बास उसको एकबार प्यार दे दे उसको प्यार दे दे तेरा घरका पूरा बोज अपने सरपे लेके रातको तेरा साथ देती है इसतरह जुल्म न कर नारी को ओह भी किसीकी बेटी है ओह भी किसीकी बेटी है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-आज फिर बचप्पन याद आया

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कविता आज फिर बचप्पन याद आया ------------------------------------- याद तो रोज करता हु दोस्तों तुम्हारी याद हर पल आता है पैसे तो हर कोई कमाता है पर तुम्हारे जैसे प्यारे दोस्त कहा किसीका नसीब होता है याद आती है बचप्पन की तो ऐ दिल आज भी तुम्हारे यादमे रोता है जो ख़ुशी मिलती थी साइकेल की पुरानी टायर चलाके ओह ख़ुशी नहीं मिला आज लाखो की गाड़ी चलाके शाम को कितना भी लड़े झगड़ा करे सुबह फिर एक साथ खेलने जाते थे एक रुपया भी होती अगर किसीके पास तो सब मिलके खाते थे कोई मतलब नहीं था हमें हम सुबह खेलने जाते तो शामको घर आते थे घरमें दो चार गाली खाते थे फिर होती सुबह तो एकजुट होजाते थे आज दोस्त बिछड़ गए पर ओह हसींन यादे आज भी दिलमे ज़िंदा है मजबूर हु हालात्तो से क्या करू आज खेलने की नहीं सबको खिलाने की चिंता है खिलाने की चिंता है हम कही कैसे भी रहे तुम सब दोस्तों की याद मेरे दिलमे आज भी ज़िंदा है मजबूर हु  हालात्तो से आज पड़ने नहीं पड़ाने की चिंता है पड़ाने की चिंता है लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम

कविता:-बचप्पन की बात बहन के साथ

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कविता बचप्पन की बात बहन के साथ Love you all sisters --------------------------------- तुझे कुछ कहना चाहता हु मेरी प्यारी बहना दिन ठीक नहीं आज कल तू ज़ारा सम्हाल के रहना ज़ारा सम्हाल के रहना तू मेरी प्यारी बहना में तेरा भाई बहुत दिन बात आज फिरसे तेरी याद आई आज फिरसे तेरी याद आई इतना काम होता है प्रदेश में घरकी यादे भी भुला जाता है लेकिन तेरी यादे रोज हमें रुला जाता है तेरी यादे रुला जाता है किसीको हर पल याद कर पाउ प्रदेश में ऐसा मौका नहीं होता है लेकिन जब बचप्पन की याद आती है तो ऐ दिल बहुत रोता है सचमे ऐ दिल बहुत रोता है घरमे सरारत तू करती थी मम्मी की डॉट मुझे पड़ती थी बात बात पे हर बात पे तू मुझसे लड़ती थी एक चोकलेट के लिए रोज तू मुझे ब्लैक मेल करती थी ग़ुस्से से मम्मी घरसे मुझे भगाती थी तो तूभी मेरे साथ चलती थी आज सोचता हु तेरे बारेमे सचमे तू मुझे कितना प्यार करती थी तू बहुत प्यार प्यार करती थी रोज सामको दूद के लिए हम दोनों की झगड़ा होती थी पाप्पा को आते देख तू चुप चाप अंदर जाके सोती थी पाप्पा मारे मुझे तो तू मुझे पक्कड़के रोती थी सचमे बचप्पन की या

शायरी:-मुझे अकेले चलने दे

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शायरी:-मुझे अकेले चलने दे न रोक मुझे तू मुझे अपने रस्ते जाने दे तूने छोड़नेका मन बना लिया तो अब मुझे भी किसी और को चाहने दे मुझे भी किसी और को चाहने दे तेरा ज़िन्द्दगी में कोई और है तो मेरा नसीब मे भी कोईतो होगा तेरा ज़िन्द्दगी में कोई और है तो मेरा नसीब मे भी कोईतो होगा जाने दे अभी तू मुझे कल जो होगा सो होगा कल जो होगा सो होगा आज मुझे छोड़के तुझे ख़ुशी मिल सकती है तो कल मेरे ज़िन्द्दगी में भी ख़ुशी खिल सकती है आज तुझे कोई और मिल सकता है तो कल मुझे भी कोई मिल सकती है कल मुझे भी कोई मिल सकती है तुझे खो के रोने वाला में भी नहीं क्योंकि किस्मत अपना अपना है तेरे मर्जी के सपने होंगे कुच तो मेरे भी कुच अपने सपने है मेरे भी कुच अपने सपने है इतना प्यार करता था तुझे  तू नजाने क्यों कोई और खोजति है देखले एकबार आईने में खुदको ना जाने अपने आप को तू क्या सोचती है अपने आप को तू क्या सोचती है तेरे आगे पीछे हर बार झुक के चले ओह हम नहीं तू बेवफा हमें छोड़ भी जाए तो हमें कोई गम नहीं क्योंकी हम भी किसीसे कम नहीं क्योंकी हम भी किसीसे कम नहीं लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर अ

शायरी:- पगली तुझे बहुत प्यार करता हु

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शायरी:- पगली तुझे बहुत प्यार करता हु ज़रा सुनले जानेमन तुझे कुछ कहना है रोज पिटू तेरे हाथ से फिरभी तेरे साथ रहना है थोड़ा कीच कीच करता हु पर में भी तुझसे डरता हु तुझे पता नहीं पगली तुझे कितना प्यार करता हु सचमे तुझे बहुत प्यार करता हु गलती मुझसे हो या तुझसे हर बार sorry में ही बोलता हु तुझे पता नहीं पगली तुझे कितना प्यार करता हु तुझे बहुत प्यार करता हु तेरी नींद ख़राब ना होजाय तेरी नींद ख़राब ना होजाय ऐ सोचके सुभे का चाय भी में खुद बनाता हु बात बात पर ग़ुस्सा करती है तू मुझसे में तुझे रोज मनाता हु में तुजसे नहीं मेरा प्यार तेरे ग़ुस्से से हारना जाय इसलिए तुजसे डरता हु तुझे पता नहीं पगली तुझे कितना प्यार करता हु सचमे तुझे बहुत प्यार करता हु लेखक मंजीत छेत्री तेज़पुर असम