शायरी:-मुझे अकेले चलने दे
शायरी:-मुझे अकेले चलने दे
न रोक मुझे तू मुझे अपने रस्ते जाने दे
तूने छोड़नेका मन बना लिया तो
अब मुझे भी किसी और को
चाहने दे मुझे भी किसी और को
चाहने दे
तेरा ज़िन्द्दगी में कोई और है तो
मेरा नसीब मे भी कोईतो होगा
तेरा ज़िन्द्दगी में कोई और है तो
मेरा नसीब मे भी कोईतो होगा
जाने दे अभी तू मुझे कल जो होगा
सो होगा कल जो होगा सो होगा
आज मुझे छोड़के तुझे ख़ुशी मिल सकती है
तो कल मेरे ज़िन्द्दगी में भी ख़ुशी खिल सकती है
आज तुझे कोई और मिल सकता है
तो कल मुझे भी कोई मिल सकती है
कल मुझे भी कोई मिल सकती है
तुझे खो के रोने वाला में भी नहीं
क्योंकि किस्मत अपना अपना है
तेरे मर्जी के सपने होंगे कुच तो
मेरे भी कुच अपने सपने है
मेरे भी कुच अपने सपने है
इतना प्यार करता था तुझे
तू नजाने क्यों कोई और खोजति है
देखले एकबार आईने में खुदको
ना जाने अपने आप को तू क्या सोचती है
अपने आप को तू क्या सोचती है
तेरे आगे पीछे हर बार झुक के चले
ओह हम नहीं
तू बेवफा हमें छोड़ भी जाए तो
हमें कोई गम नहीं
क्योंकी हम भी किसीसे कम नहीं
क्योंकी हम भी किसीसे कम नहीं
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
न रोक मुझे तू मुझे अपने रस्ते जाने दे
तूने छोड़नेका मन बना लिया तो
अब मुझे भी किसी और को
चाहने दे मुझे भी किसी और को
चाहने दे
तेरा ज़िन्द्दगी में कोई और है तो
मेरा नसीब मे भी कोईतो होगा
तेरा ज़िन्द्दगी में कोई और है तो
मेरा नसीब मे भी कोईतो होगा
जाने दे अभी तू मुझे कल जो होगा
सो होगा कल जो होगा सो होगा
आज मुझे छोड़के तुझे ख़ुशी मिल सकती है
तो कल मेरे ज़िन्द्दगी में भी ख़ुशी खिल सकती है
आज तुझे कोई और मिल सकता है
तो कल मुझे भी कोई मिल सकती है
कल मुझे भी कोई मिल सकती है
तुझे खो के रोने वाला में भी नहीं
क्योंकि किस्मत अपना अपना है
तेरे मर्जी के सपने होंगे कुच तो
मेरे भी कुच अपने सपने है
मेरे भी कुच अपने सपने है
इतना प्यार करता था तुझे
तू नजाने क्यों कोई और खोजति है
देखले एकबार आईने में खुदको
ना जाने अपने आप को तू क्या सोचती है
अपने आप को तू क्या सोचती है
तेरे आगे पीछे हर बार झुक के चले
ओह हम नहीं
तू बेवफा हमें छोड़ भी जाए तो
हमें कोई गम नहीं
क्योंकी हम भी किसीसे कम नहीं
क्योंकी हम भी किसीसे कम नहीं
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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