कविता:- माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु
कविता:-
माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु
भारत माँ आज में तुझे
कुछ कहना चाहता हु
जन्म से तेरा गोदमे पला बड़ा
माँ अब में तेरा सेवा करना चाहता हु
माँ अब में तेरा सेवा करना
चाहता हु
तेरी रक्षा करते जीना और
तेरी रक्षा करते मरना चाहता हु
इतना हक़ दे माँ मुझे
में तेरा सेवा करना चाहता हु
में तेरा सेवा करना चाहता हु
तेरी और कोई बुरी नज़र ढाले
उसकी आँखे फोड़ दूंगा
हाथ लगाए कोई तुझे तो उसका
हाथ तोड़ उसकी सर फोड़ दूंगा
प्यार से मांगे कोई पानी तो हम
उसको दाल भात देंगे
कोई मेरी मातृ भूमि छीनने की
कोसिस करे तो उसकी गर्दन काट देंगे
हम उसकी गर्दन काट देंगे
तेरी रक्षा करते जीना तेरी रक्षा करते
मरना चाहता हु इतना हक़ दे माँ मुझे
में तेरा सेवा करना चाहता हु
माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु
लेखक मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु
भारत माँ आज में तुझे
कुछ कहना चाहता हु
जन्म से तेरा गोदमे पला बड़ा
माँ अब में तेरा सेवा करना चाहता हु
माँ अब में तेरा सेवा करना
चाहता हु
तेरी रक्षा करते जीना और
तेरी रक्षा करते मरना चाहता हु
इतना हक़ दे माँ मुझे
में तेरा सेवा करना चाहता हु
में तेरा सेवा करना चाहता हु
तेरी और कोई बुरी नज़र ढाले
उसकी आँखे फोड़ दूंगा
हाथ लगाए कोई तुझे तो उसका
हाथ तोड़ उसकी सर फोड़ दूंगा
प्यार से मांगे कोई पानी तो हम
उसको दाल भात देंगे
कोई मेरी मातृ भूमि छीनने की
कोसिस करे तो उसकी गर्दन काट देंगे
हम उसकी गर्दन काट देंगे
तेरी रक्षा करते जीना तेरी रक्षा करते
मरना चाहता हु इतना हक़ दे माँ मुझे
में तेरा सेवा करना चाहता हु
माँ में तेरा सेवा करना चाहता हु
लेखक मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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