कविता:- कमजोर ना समझे नारी को
कविता:-
कमजोर ना समझे नारी को
कमजोर ना समझे दुनिया हमें
हम नारी सकती शाली है
झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे
कमजोर ना समझे दुनिया हमें
हम नारी सकती शाली है
हम नारी सकती शाली है
घरसे लेके खेत तक
नारी की जिम्मेदारी है
खेल कूद शिक्षा हो या देस सेवा
सबमे नारी की हिस्सेदारी है
कमजोर ना समज नारी को
नारी चाहे कुछ भी कर सकती है
एक नारी दुनियापे भारी पड़ सकती है
बेटी जन्मी घरमें खुश होना चाइये
घरसे लेके खेत खेतसे लेके
अन्तरिक्ष तक नारी छायी है
बेटी जन्मी घरमें तो आपको
दुखी नहीं खुश होना चाइये
कमजोर ना समझे दुनिया हमें
हम नारी सकती शाली है
झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे
झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
कमजोर ना समझे नारी को
कमजोर ना समझे दुनिया हमें
हम नारी सकती शाली है
झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे
कमजोर ना समझे दुनिया हमें
हम नारी सकती शाली है
हम नारी सकती शाली है
घरसे लेके खेत तक
नारी की जिम्मेदारी है
खेल कूद शिक्षा हो या देस सेवा
सबमे नारी की हिस्सेदारी है
कमजोर ना समज नारी को
नारी चाहे कुछ भी कर सकती है
एक नारी दुनियापे भारी पड़ सकती है
बेटी जन्मी घरमें खुश होना चाइये
घरसे लेके खेत खेतसे लेके
अन्तरिक्ष तक नारी छायी है
बेटी जन्मी घरमें तो आपको
दुखी नहीं खुश होना चाइये
कमजोर ना समझे दुनिया हमें
हम नारी सकती शाली है
झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे
झाँसी की रानी माँ दुर्गा भी नारी थे
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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