कविता:- कोसिस करने वाले को कामयाबी मिलता है
कविता:-
कोसिस करने वाले को
कामयाबी मिलता है
मुस्किलो के रस्ते जो चल पाता है
ओ हि इंसान जिंददगी में सफल
हो पाता है
लेकिन ऐ बात हर किसीको कहा
समज आता है
जिसको होगी भूख कुच बड़ा करनेकी
ऐ बात सिर्फ ओहि समज पाता है
सिर्फ ओहि समज पाता है
कुच बड़ा करने के लिए कुच तो
रिक्स लेना पड़ता है
सफलता पाने के लिए अपना
खून पसीना सबकुच देना पड़ता है
इस रास्ते मे दुःख दर्द बहुत मिलेगा
इसको सेहेना पड़ेगा
मुस्किले बहुत आएंगे
सफलता के रस्ते हमें उस
दुःख दर्द को हस्ते हस्ते सेहेना पडेगा
अपनों के साथ छोड़ हमें
अकेले रेहेना पडेगा कुच पाने के लिए
हमें बहुत कुच खोना पड़ेगा
कुच पाने के लिए कुच खोना पड़ेगा
कभी ख़ुशी से तो कभी गंमसे
रोना पडेगा
ज़िन्दगी में कामयाबी चाइये तो
हर मुश्किलो से लड़ना पड़ेगा
लड़ने के लिए हमेशा त्यार होना पडेगा
मानता हु थोड़ा मुश्किल है सफर
मुस्किलो के बिच कीचड़ में ही
अक्सर कमल खिलता है
क्या कसूर था गुलाब का ओह
काँटों के बिच खिलता है
कोसिस करने वाले को
कामयाबी जरूर मिलता है
कोसिस करने वाले को
कामयाबी जरूर मिलता है
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
कोसिस करने वाले को
कामयाबी मिलता है
मुस्किलो के रस्ते जो चल पाता है
ओ हि इंसान जिंददगी में सफल
हो पाता है
लेकिन ऐ बात हर किसीको कहा
समज आता है
जिसको होगी भूख कुच बड़ा करनेकी
ऐ बात सिर्फ ओहि समज पाता है
सिर्फ ओहि समज पाता है
कुच बड़ा करने के लिए कुच तो
रिक्स लेना पड़ता है
सफलता पाने के लिए अपना
खून पसीना सबकुच देना पड़ता है
इस रास्ते मे दुःख दर्द बहुत मिलेगा
इसको सेहेना पड़ेगा
मुस्किले बहुत आएंगे
सफलता के रस्ते हमें उस
दुःख दर्द को हस्ते हस्ते सेहेना पडेगा
अपनों के साथ छोड़ हमें
अकेले रेहेना पडेगा कुच पाने के लिए
हमें बहुत कुच खोना पड़ेगा
कुच पाने के लिए कुच खोना पड़ेगा
कभी ख़ुशी से तो कभी गंमसे
रोना पडेगा
ज़िन्दगी में कामयाबी चाइये तो
हर मुश्किलो से लड़ना पड़ेगा
लड़ने के लिए हमेशा त्यार होना पडेगा
मानता हु थोड़ा मुश्किल है सफर
मुस्किलो के बिच कीचड़ में ही
अक्सर कमल खिलता है
क्या कसूर था गुलाब का ओह
काँटों के बिच खिलता है
कोसिस करने वाले को
कामयाबी जरूर मिलता है
कोसिस करने वाले को
कामयाबी जरूर मिलता है
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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