कविता:-भारत किसीसे झुका नहीं


कविता
भारत किसीसे झुका नहीं
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भारत माँ के बच्चे है हम डरते नहीं
चलते है शान से
झुकके चलना आदत नहीं हम्हारी
हम जीते है मान सम्मान से
हम जीते है मान सम्मान से
लड़ने से पहले पड़ले भारत की
इतिहास किसीसे छुपा नहीं 
दुश्मनो को उसके घरमें घुसके मार आये
फिर भी भारत किसीसे झुका नहीं
भारत किसीसे झुका नहीं
हम भारत माँ के बीर है हमें खुद से ज्यादा
बतन कि चिंता है 
बतन के लिए सहीद हुवे लाखो जवान
आज भी हम्हारे दिलमे ज़िंदा है
आज भी हम्हारे दिलमे ज़िंदा है
इतना आगे कैसे बड़ा भारत इसकी
सबको निन्दा है
सबको पीछे छोड़ भारत बिस्वा गुरु
बनजाय इसकी सबको चिंत्ता है
इसकी सबको चिंत्ता है
दुनिया कर न पाई जो काम
भारत कर दिखायगा
बिस्वा गुरु बनके एकदिन भारत
सबको प्यार भाईचारे सिखायगा
सबको प्यार भाईचारे सिखायगा
कोई कितना भी दुश्मनी करे हमें
उनको भाईचारे सिखाना है
रोशन रहे भारत सदा युवा को कुछ
ऐसा रास्ता दिखाना है
कुछ ऐसा रास्ता दिखाना है
भारत माँ के बच्चे है हम डरते नहीं
चलते है शान से
झुकके चलना आदत नहीं हम्हारी
हम जीते है मान सम्मान से
हम जीते है मान सम्मान से

जय हिन्द जय भारत
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

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