शायरी:-मानजा प्यार से बोल रहा हु

शायरी
मानजा प्यार से बोल रहा हु
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हर बार रिप्लाई में ना ना ही
क्यों करती हो
एकदिन सोना ही हे किसीके बाहोमें
तो मुझे हां बोलनेसे इतना क्यों डरती हो
मुझसे इतना क्यों डरती हो

तू मेरी सबसे प्यारी साथी है
इसलिए तुझसे कभी कभी लड़ता हु
कस्सम हे खुदा की
सचमे तुझे बहुत प्यार करता हु
तुझे बहुत प्यार करता हु

सबसे खास हे तू मेरे लिए
तुझे खोनेसे डरता हु
तुझे पाने के चक्करमें ना जाने 
रोज कितनो से लड़ता हु
ना जाने रोज कितनो से लड़ता हु

अजमाके देखले एकबार तेरे लिए
कुछ भी कर जाऊंगा
कस्सम हे खुदाकी
तुझे पाने के खातिर में दुनियासे
लड़जाउँगा में दुनियासे लड़जाउँगा

तूने क्या सोची तू अपने भाईकी
धमकी देगी
और में आशिक डर जाऊंगा
तेरे भाईके नज़रे चुराके भाग आएगी
एकदिन मेरे साथ देखना कुछ ऐसा
जादू कर जाऊंगा
मानजा प्यार से बोल रहा हु तुझे
वरना उठाके ले जाऊंगा
वरना उठाके ले जाऊंगा

लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

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