कविता:-में एक राइटर हु
कविता:-में एक राइटर हु
खुदमे खोया खोया रहता हु
क्योंकी में एक राइटर हु
सब्दो को जोड़ने तोड़ने वाला
में फाइटर हु में राइटर हु
राइटर ही है जो सोया हुवा को
जगा सकते है
बोम बारूद की जरुरत नहीं हमें
हम कलम से ही आग लगा सकते है
कलम ही है जो घुंगे बेहरे को भी
जीना सिखाता है
कोई बोल न पाए ओह लिख के
अपनी बात बोल पाते है
राइटर ही है ओह जो दुनिया के
सामने सच्चाई खोल पाते है
जुबा से ज्यादा ईस दुनियामे कलम की
ज्यादा चलती है
कलम को देख अच्छे अच्छे की फैटति है
क्योंकी इसको झूट से ज्यादा
सच दिखता है
जो दिखा है राइटर ने ओह
हमेसा लिखा है
इसी खूबी के चलते डिजिटल
दुनिया में भी कलम टिक पाया है
कलम टिक पाया है इसलिए
घुंगे भी पड़ लीख पाया है
जीने की वजह सिख पाया है
खुदमे खोया खोया रहता हु
क्योंकी में एक राइटर हु
सब्दो को जोड़ने तोड़ने वाला
में फाइटर हु में एक राइटर हु
में एक राइटर हु में राइटर हु
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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