कविता-जिंदगी एक सोच है
जिंदगी एक सोच है
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आप दुनिया को जिस नज़र से
देखोगे दुनिया ठीक ओइसा ही
दिखेगा
आँखों को नज़र अंदाज़ करके
जो दिल की आवाज़ सुनेगा
ओ एकदिन दुनिया जीतेगा
ओ एकदिन दुनिया जीतेगा
आँखों को जो दीखता है इंसान
भी उसी को सच मानने लागता है
लेकिन जो इंसान अपनी अंदर
की सकती पेहचान पाता है
सफलता भी एकदिन उसके पीछे
पीछे भाग आता है
उसके पीछे पीछे भाग आता है
आँखो को जो दीखता है
दिमाग ओ ही चीज सीखने लागता है
अंतर आत्मा से देखते है जो लोग
उसको ऐ दुनिया मे ही सोर्गे दीखने
लागता है सोर्गे दीखने लागता है
इंसान अपनी मेहनत और हिम्मत
से जब चाँद को छूके आ सकता है
तो सोचने वाली बात है यारो इंसान
चाहे तो क्या नहीं पा सकता है
जाहा तक उसकी सोच जा सकता है
इंसासन ओ सबकुछ पा सकता है
इंसासन सबकुछ पा सकता है
कुछ बड़ा करने के लिए अंदर की
डर को निकालके हिम्मत और बिस्वास का
बीज बोना चाइये
इंसान को कुछ बड़ा करने के लिए
इंसान नहीं उसकी की सोच बड़ा
होना चाइये
उसकी की सोच बड़ा होना चाइये
लेखक
मंजीत छेत्री
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