शायरी:- फिर होली आगयी


शायरी:-
फिर होली आगयी
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लाल गुलाब रंग से रंगी थी
तू मेरे दिलमे छागई
बहुत याद सता रही है सनम
आज फिरसे होली आगयी
हाथमे रंग गुलाल लिए
हम दोनो घूमते थे सारा जहा
नसीब ने खेल खेला कुच एैसा
आज तूम कहा हम कहा
तेरी याद मुझे आज फिरसे
सता रहा है
तूभी मुझे याद करती होगी ऐ
मेरा दिल बता रहा है
पहले तू मेरा हाथ में रंग गुलाल
देख मुझसे दूर भागति थी
एकबार रंग जाति मेरे हाथसे
तो फिर मेरे साथ खेलने आती थी
होके लाल पिले हम दोनो
होली के रंगमें खोजाते
कितना मज़ा आता अगर आज भी
हम दोनो साथ होजाते
हाथमे रंग गुलाल लिए हम दोनो
घूमते थे सारा जहा
नसीब ने खेल खेला कुच एैसा
आज तूम कहा हम कहा
लाल गुलाब रंग से रंगी थी
तू मेरे दिलमे छागई
बहुत याद सता रही है सनम
आज फिरसे होली आगयी
आज फिरसे होली आगयी


लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

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