कविता-जित की उम्मीद बोना है
जित की उम्मीद बोना है
उन लोगो की बात न सुन्ना जिसने
अपनी हार मानी है
ऐ दुनिया उसी की है जिसने कुछ
करने की ठानी है
ज़िन्दगी से हार मानके कोई ऐसे
घुम रहे हैकोई नसे में झूम रहे है
जिसने देखा आसमा छूने की सपना
वो आज चाँद तारे को चुम रहे है
वो आज चाँद तारे को चुम रहे है
ऐ सोच के आगे बड्ड मुझे कुछ करना है
मुझे कुछ करना है
न डरना रिक्स लेनेसे एकदिन सबको
मरना है हम सबको मरना है
कुछ ऐसा काम करजावो की दुनिया
आपकी किताब लेखे
घर हो या लाइब्रेरी हर जगह लोग
तुम्हे देखे हर जगह लोग तुम्हे देखे
गलत कुछ करना नहीं कभी किसीसे
डरना नहीं जीत मिलेगी एक दिन तुम्हे
ज़िन्द्दगी से कभी हारना नहीं
ज़िन्द्दगी से कभी हारना नहीं
ज़िन्दगी तुम्हे बार बार गिराएगी
तुम्हे हर बार खड़ा होना है
भूलके पहले हार को तुम्हे
फिरसे जित की उम्मीद बोना है
फिरसे जित की उम्मीद बोना है
उन लोगो की बात न सुन्ना जिसने
अपनी हार मानी है
ऐ दुनिया उसी की है जिसने कुछ
करने की ठानी है
जिसने कुछ करने की ठानी है
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
उन लोगो की बात न सुन्ना जिसने
अपनी हार मानी है
ऐ दुनिया उसी की है जिसने कुछ
करने की ठानी है
ज़िन्दगी से हार मानके कोई ऐसे
घुम रहे हैकोई नसे में झूम रहे है
जिसने देखा आसमा छूने की सपना
वो आज चाँद तारे को चुम रहे है
वो आज चाँद तारे को चुम रहे है
ऐ सोच के आगे बड्ड मुझे कुछ करना है
मुझे कुछ करना है
न डरना रिक्स लेनेसे एकदिन सबको
मरना है हम सबको मरना है
कुछ ऐसा काम करजावो की दुनिया
आपकी किताब लेखे
घर हो या लाइब्रेरी हर जगह लोग
तुम्हे देखे हर जगह लोग तुम्हे देखे
गलत कुछ करना नहीं कभी किसीसे
डरना नहीं जीत मिलेगी एक दिन तुम्हे
ज़िन्द्दगी से कभी हारना नहीं
ज़िन्द्दगी से कभी हारना नहीं
ज़िन्दगी तुम्हे बार बार गिराएगी
तुम्हे हर बार खड़ा होना है
भूलके पहले हार को तुम्हे
फिरसे जित की उम्मीद बोना है
फिरसे जित की उम्मीद बोना है
उन लोगो की बात न सुन्ना जिसने
अपनी हार मानी है
ऐ दुनिया उसी की है जिसने कुछ
करने की ठानी है
जिसने कुछ करने की ठानी है
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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