कविता:-कोई किसी से कम नहीं
कविता
कोई किसी से कम नहीं
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हर इंसान में कुछ खास होता है
कोई किसीसे कम नहीं
लोग जो सोचते है ओह हम नहीं
जब इंसान मुसकिलो को भी
आसानी से झेल लेता है
तब उसको पता चलता है
ओह भी किसीसे कम नहीं
ओह भी किसीसे कम नहीं
एकदिन हम सबको मरना है
फिर हार से क्यों डरना है
तैयार रखो खुदको न जाने
कब कौनसी मुस्किलो से लड़ना है
डर के नहीं हमें ड्टके चलना चाइए
लड़े बिना आजतक किसने जित पाई है
लड़े बिना आजतक किसने जित पाई है
लोग जो सोचते है ओह हम नहीं
जब इंसान मुसकिलो को
आसानी से झेल लेता है
तब उसको पता चलता है
ओह भी किसीसे कम नहीं
ओह भी किसीसे कम नहीं
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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