कविता-बेटी हम्हारी


बेटी हम्हारी
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देस को चलाये देस को आगे बढ़ाये
जन जन को गर्व महसूस कराये बेटी हम्हारी
नह मारना बेटी को जनम से पहले
कल मेर्रीकॉम हिमा जैसी बनेगी बेटी तुम्हारी
दुनिया को हराके देसका नाम आगे बढ़ाके
काम किया बेटी ने कुछ एइसा एक दो नहीं
कल लाखो बेटी होंगे कल्पना चौला जैसा
कड़ी धुप हो या तेज़ बरसात ऐ सबकुछ
आसानी से सेहती है
बेटी जब गोल्ड मेडेल जित आये तो माँ
बाप ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी पहचान
बना लेती है अपनी पहचान बना लेती है
बहुत हुवा अनन्याय बेटी पे अब ऐ
नमूना नहीं चलेगी
बेटी को छोड़ दो खुले आसमान में अपनी
मर्जी से चलेगी पड़ेगी
देखना फिर दुनियाको पीछे छोड़के भारत का
नाम रोशन करेगी भारत का नाम रोशन करेगी
बात बात पर बेटी को रोक टोक के
ना करो बेटी की अपम्मान
फौज में हो या ऑलम्पिक हर जगह
बेटी ने दिलाया हमें मान सन्मान
बेटी ने दिलाया हमें मान सन्मान
ना करो भ्रूण हत्या बेटी है देस की
आन बान सान ना करो  भ्रूण हत्या
बेटी है देस की आन बान सान

मंजीत छेत्री

  • तेज़पुर असम

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