शायरी:-दिलके रिश्ते
शायरी
दिलके रिश्ते
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रिश्ते बढ़ते जाय ज़िन्दगी में
ऐ सबके सपने होते है
कोई खून के रिश्ते पराये तो
कोई अजनबी हम्हारे अपने होते है
खुशियों में तो सब साथ चलते है
जो मुस्किलो में साथ दे सिर्फ ओहि
दिलसे अपने होते है
सिर्फ ओहि दिलसे अपने होते है
न जाने रोज कितने रिश्ते टूटते है
कितने रिश्ते छूटते है
वही रिश्ते ज़िन्दगी भर टिकते है
जो बिना मतलब के दिलसे जुड़ते है
कोई रिश्ते दूसरों को खुश देख
खुद खुस होते है
कोई रिश्ते दुसरो के ख़ुशी से जलते है
दिल का रिस्ता उसी को कहते है
जो हर दुःख सुखमे साथ चलते है
जो हर दुःख सुखमे साथ चलते है
कोई खून के रिश्ते पराये तो कोई
अजनबी हम्हारे करीब होते है
खुशियों में तो सब साथ चलते है
जो मुस्किलो में साथ चले सिर्फ ओहि
दिलसे अपने होते है
सिर्फ ओहि दिलसे अपने होते है
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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