कविता-चलो कुछ नया शिखते है


चलो कुछ नया शिखते है
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ऐ दुनिया एइसा नहीं है यारो
जैसा हमें ऐ दुनिया दीखता है
यहाँ ओह ही कामयाब होते है
जो रोज कुच नया सीखता है
यहाँ रोज लाखो लोग आते है
लाखो लोग कुछ किये बिना
दुनिया से चले जाते है
यहाँ लोग उसीको पागल कहते
जो सबसे अलग करना चाहते है 
जो लोग कुछ अलग कर जाते है
उसको लोग पागल कहते है
याद रखना यारो ओहि पागल लोग ही
इतिहास लिख पाते है
दुनियाको बहुत कुछ सीखा जाते है
बहुत कुछ सीखा जाते है
उधर बॉर्डर पे सभी जाती धर्म के लोग
मिलके दुसमन से लड़ते है
इधर हम्हारे नेता जाती धर्म के नाम पर
रोज राजनीती करते है
यहाँ कोई खाने के लिए जीते है
तो कोई जीने के लिए खाते है
ऐसे भी लोग है इस दुनिया मे
जो रोज खाली पेट सो जाते है
रोज खाली पेट सो जाते
ऐ दुनिया एइसा नहीं है यारो
जैसा हमें ऐ दुनिया दीखता है
यहाँ ओह ही कामयाब होते है
जो रोज कुच नया सीखता है
जो रोज कुच नया सीखता है

लेखक मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

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