कविता-: मुझे उड़ने दे
कविता-:
मुझे उड़ने दे
बंद न रख पिंजड़ा में मुझे
अपना पंख खुलने दे
पंख दिया बनाने वाले ने मुझे
खुले आसमान में उड़ने दे
खुले आसमान में उड़ने दे
न कर पिंजड़ा में कैद मुझे में
अपना पंख खुलना भूल जाऊंगा
दया करके छोड़ दे मुझे में खुले
आसमान में उड़ना चाउंगा
खुले आसमान में उड़ना चाउंगा
पंख दिया है बनाने वाले ने मुझे
हावा में झूमने दे
खुले आसमान में उड़के बादलो को
चूमने दे बादलो को चूमने दे
न कर कैद मुझे पिंजड़ा में
मुझे हवामे झूमने दे
खोलके अपने पंख को
आसमान में घूमने दे
खुले आसमान में उड़के बादलो
को चूमने दे बंद न रख पिंजड़ा में
मुझे अपना पंख खुलने दे
पंख दिया बनाने वाले ने मुझे
खुले आसमान में उड़ने दे
मुझे खुले आसमान में उड़ने दे
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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