कविता:-हम सबका प्यारा बतन
कविता
हम सबका प्यारा बतन
किसीको इज्जत नहीं दे सकते तो
किसीका बिज्जति ना कीजिये
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
हम सबका है ऐ बतन
सबको इज्जत से जीने दीजिये
सबको इज्जत से जीने दीजिये
धर्म करे न करे अच्छे कर्म
जरूर कीजिये
धन दौलद दे नादे हर किसीको
इज्जत जरूर दीजिये
इज्जत जरूर दीजिये
सबसे मीठी बोल बोलिये आपको
बहुत इज्जत मिल जाएगा
आपकी एक मीठी बोल से किसीके
चेहरे पे मुस्कान खिल जायेगा
किसीके चेहरे पे मुस्कान खिल जायेगा
हमें किसीसे लड़ना नहीं किसीसे
जलना नहीं
किसीका भला नहीं कर पाए तो
किसीका बुरा भी करना नहीं
किसीका बुरा भी करना नहीं
थोड़ा दुःख दर्द सबका होता है
थोड़ा दुःख दर्द सहना सीखिए
चार दिन की है ज़िन्द्दगी मिलके
सबसे रहना सीखिए
मिलके सबसे रहना सीखिए
किसीको इज्जत नहीं दे सकते तो
किसीका बिज्जति ना कीजिये
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम
सबका है ऐ बतन
सबको इज्जत से जीने दीजिये
सबको इज्जत से जीने दीजिये
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
हम सबका प्यारा बतन
किसीको इज्जत नहीं दे सकते तो
किसीका बिज्जति ना कीजिये
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
हम सबका है ऐ बतन
सबको इज्जत से जीने दीजिये
सबको इज्जत से जीने दीजिये
धर्म करे न करे अच्छे कर्म
जरूर कीजिये
धन दौलद दे नादे हर किसीको
इज्जत जरूर दीजिये
इज्जत जरूर दीजिये
सबसे मीठी बोल बोलिये आपको
बहुत इज्जत मिल जाएगा
आपकी एक मीठी बोल से किसीके
चेहरे पे मुस्कान खिल जायेगा
किसीके चेहरे पे मुस्कान खिल जायेगा
हमें किसीसे लड़ना नहीं किसीसे
जलना नहीं
किसीका भला नहीं कर पाए तो
किसीका बुरा भी करना नहीं
किसीका बुरा भी करना नहीं
थोड़ा दुःख दर्द सबका होता है
थोड़ा दुःख दर्द सहना सीखिए
चार दिन की है ज़िन्द्दगी मिलके
सबसे रहना सीखिए
मिलके सबसे रहना सीखिए
किसीको इज्जत नहीं दे सकते तो
किसीका बिज्जति ना कीजिये
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम
सबका है ऐ बतन
सबको इज्जत से जीने दीजिये
सबको इज्जत से जीने दीजिये
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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