कविता:-अच्छी ज़िन्दगी
कविता
अच्छी ज़िन्दगी
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अच्छी ज़िन्दगी ज़ीने के लिए
हमें रोज कुच नया सीखना चाइये
कुच नया सिखने लिए रोज
कुच पड़ना कुच लिखना चाइये
हमें नहीं किसीसे लड़ना है
नहीं किसीसे डरना जलना है
क्या हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
हम सबको साथ मिलके चलना है
सबको ख़ुशी मिले हमें कुच
एैसा काम करना है
किसीकी दूवा लगी तो आपकी
ज़िन्दगी निखर जायगी
किसीकी बद्दुवा लगी तो
ज़िन्दगी बिखर जायगी
अच्छी ज़िन्दगी ज़ीनेके लिए हमें
रोज कुच नया सीखना चाइये
कुच नया सिखने के लिए
कुच पड़ना कुच लिखना चाइये
ज़िन्दगी सुकुन से जीना है तो
सबसे कुचना कुछ सीखना चाइये
कुच नया सिखने के लिए रोज
कच पड़ना कुच लिखना चाइये
रोज कच पड़ना कुच लिखना चाइये
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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