कविता:-मेरा प्यारा बतन
कविता:-मेरा प्यारा बतन
लोगो की ज़िन्दगी बित जाती है
एक घर बनाने में
लेकिन किसीको तरस क्यों नहीं आता
किसीका का घर जलाने मे
इंसान ही इंसान को जलाके
किसको क्या मिलेगी
मिलके रहो हिन्दू मुस्लिम
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
कोई हिन्दू को तो कोई मुस्लिम को
मारने की बात कर रहा है
किसी को खबर क्यों नहीं यहाँ
हिन्दुस्तान जल रहा है
यहाँ हिन्दुस्तान जल रहा है
कोई अपने माँ बाप तो कोई
अपने भाई बहन खो रहा है
खुदा तू ही बता मेरा प्यारा
बतन में ऐ क्या हो रहा है
मेरा प्यारा बतन में ऐ क्या हो रहा है
न किसीको खाने की भूख न
किसीको नींद आ रहा है
लोग अपने रोजी रोटी छोड़
गांव जा रहा है गांव जा रहा है
तुहि बता है खुदा इतना प्यारा
बतन मे ऐ क्या हो रहा है
प्यारा बतन मे ऐ क्या हो रहा है
इंसान ही इंसान को जला के
किसको क्या मिलेगी
मिलके रहो हिन्दू मुस्लिम
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
जय हिन्द जय भारत
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
लोगो की ज़िन्दगी बित जाती है
एक घर बनाने में
लेकिन किसीको तरस क्यों नहीं आता
किसीका का घर जलाने मे
इंसान ही इंसान को जलाके
किसको क्या मिलेगी
मिलके रहो हिन्दू मुस्लिम
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
कोई हिन्दू को तो कोई मुस्लिम को
मारने की बात कर रहा है
किसी को खबर क्यों नहीं यहाँ
हिन्दुस्तान जल रहा है
यहाँ हिन्दुस्तान जल रहा है
कोई अपने माँ बाप तो कोई
अपने भाई बहन खो रहा है
खुदा तू ही बता मेरा प्यारा
बतन में ऐ क्या हो रहा है
मेरा प्यारा बतन में ऐ क्या हो रहा है
न किसीको खाने की भूख न
किसीको नींद आ रहा है
लोग अपने रोजी रोटी छोड़
गांव जा रहा है गांव जा रहा है
तुहि बता है खुदा इतना प्यारा
बतन मे ऐ क्या हो रहा है
प्यारा बतन मे ऐ क्या हो रहा है
इंसान ही इंसान को जला के
किसको क्या मिलेगी
मिलके रहो हिन्दू मुस्लिम
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
सबके घरमे खुशिया खिलेगी
जय हिन्द जय भारत
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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