शायरी-एक हसींन मुलाकात


धुप हो या बरसात तुजसे मिलने
में कितना दूरसे आता था
सोचके देख एक बार में तुजे कितना
चाहता था
कितना हसींन होता था ओह पल
ऐ दिल कभी नहीं भूल पाता है
तेरे यादो में खो जाता हु आज भी
जब तेज़ बरसात आता है
जब भी तेरा फ़ोन आय ऐ दिल
कितना खुश होता था
बाते करते करते कभी खाना
बिना खाये सो जाता था सो
कितने सुन्द्दर सपने देखे थे
दोनों मिलके सब अधूरे होगये
कैसा है नसीब का खेल दोनों
अलग अलग होगये
कितना हसींन होता था ओह पल
ऐ दिल कभी नहीं भूल पाता है
तेरे यादो में खो जाता हु आज भी
जब तेज़ बरसात आता है
जब तेज़ बरसात आता है

लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

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