कविता-ज़िन्दगी



ज़िन्दगी
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मुस्किले न आये ज़िन्दगी में तो
ज़िन्दगी बहुत बोर होता है
मुस्किलो को चुनौती देते हुवे
आगे बाड़नेका मज़ा ही कुछ और
होता है मज़ा ही कुछ और होता है
बिना संघर्ष का इस दुनिया में
किसको सुख मिलता है
कमल कीचड़ में तो गुलाब भी
काँटों के बीचमे ही खिलता है
संघर्ष के बिना सुख कहा मिलता है
संघर्ष के बिना सुख कहा मिलता है
ज़िन्दगी में मुस्किले बहुत आएंगे हमें
जितने के लिए हमेसा तैयार रहना पड़ेगा
सुख का आनंद चाइये तो हमें थोड़ा
दुःख भी सहना पड़ेगा
मुस्किले हमेसा हमें डराने हराने
नहीं आता मेरे दोस्त
मुस्किले कभी कभी हमें हराती है
कभी कभी हमें डराती है
लेकिन ऐ जब भी आती है
हमें कुच नया सीखा जाती है
हमें जीना सीखा जाती है

लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

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