कविता-हां में फौजी की बीवी हु


हां में फौजी की बीवी हु
-------------------------------
धक्के खा खा के चलते है फौजी
देस के इस कोने से उस कोने पर
गर्व है मुझे आज एक फौजी की
बीवी होने पर एक फौजी की बीवी
होने पर देर रात आते है ड्यूटी से
एकसाथ ही सोते है
सुबह जब में उठथी हु तो ओह ड्यूटी
पे होते है ओह ड्यूटीपे होते है
कंदे में राइफल पीठ में भारी बोज
लेके बड़े आरामसे पहाड़ चढ़ते है
सुबह पीटी पर्रेट के बाद रात को
नाईट ड्यूटी भी करते
नाईट ड्यूटी भी करते
कड़ी धुप हो या बरसात ऐ
सबकुच बड़े आराम से सहते है
मौत के पास रहके भी फौजी
बहुत खुश रहते है
न जाने कैसे खुस रहते है
न कोई चारपाई न कोई गद्दा
ओ पतझड़ बिछाके सोते है
सोचने में मजबूर होजाती हु
में कभी कभी ऐ किस
मिटटी के बने होते है
ऐ किस मिटटी के बने होते है
धक्के खा खा के चलते है फौजी
देस के इस कोने से उस कोने पर
गर्व है मुझे आज एक फौजी की
बीवी होने पर फौजी की बीवी होने पर



Comments

Popular posts from this blog

कविता:- हर किसीकी इज्जत होता है

कविता:-में एक राइटर हु