कविता-गीता से कुछ सीखना है
गीता से कुछ सीखना है
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ज़िन्दगी जीने की कला तो
सब गीता में लिख दिया है
अब तुम सोचो तुमने उससे
क्या सीख लिया है क्या लिया है
गीता कोई धर्म की किताब नहीं
ओह जीने की कला है
सर्ग उसे जीते जी मिल जाऐगा
जिसने गीता पड़ा है
गीता जिसने पड़ लिया मानलो
उसने दुनिया जान लिया है
अब ओह भटकेगा नहीं क्योंकि
उसने दुनिया को पहचान लिया है
उसने दुनिया को पहचान लिया है
आम आदमी से खास आदमी
बन जायगा बोलते है कृष्णा अगर
किसीने ठान लिया तो
बहुत आगे जायगा ओह इंसान
उसने गीता की बात मान लिया तो
गीता की बात मान लिया तो
दुनिया की बाते छोड़ तू गीता
की बातो पे धियान दे
ज़िन्दगी बदल जायगी तेरी गीता
में इतना ज्ञान है इतना ज्ञान है
ज़िन्दगी जीने की कला तो
सब गीता में लिख दिया है
अब तुम सोचो तुमने उससे
क्या सीख लिया है क्या सीख लिया है
ज्ञान बिना पूरी दुनिया अधूरी है
ज़िन्दगी सुख से जीना है तो ज्ञान
बहुत जरुरी है ज्ञान बहुत जरुरी है
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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