कविता- हर रिस्ता कुछ सिखा जाता है

हर रिस्ता कुछ सिखा जाता है
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कोई सही तो कोई गलत रास्ते दिखा जाते है
लेकिन हर रिस्ता कुछ न कुछ सीखा जाता है
कोई कुछ दे जाता है कोई कुछ ले जाता है
लेकिन हर रिस्ता कुछ न कुछ के जाता है
हर रिस्ता कुछ के जाता है
कोई सुख दे जाते है कोई दुःख दे जाते है
जो रिस्ता दुःख सुख में साथ दे
ओह दिल में रेह जाते है दिलमें रेह जाते है
कोई रिश्ते हमें डाटते है कोई रिश्ते हमें
प्यार से सहलाते है
लेकिन जो रिस्ता हमें डाटके खुद रो जाये
ओह प्यार का रिस्ता कहलाते है
प्यार का रिस्ता कहलाते है
कुछ रिश्ते मतलब से आजाते है कुछ
बिना मतलब के पा जाते है जो रिस्ता
बिना मतलब के निभाए ओह सबके दिलमें
छा जाते है सबके दिलमें छा जाते है
कोई रिश्ते हमें डाटते है कोई रिश्ते हमें
प्यार से सहलाते है
हर गलती को माफ़ करके एक दूसरे का साथ दे
उसे पाभित्र रिस्ता कहलाते है
उसे पाभित्र रिस्ता कहलाते है
कोई सही तो कोई गलत रास्ते दिखा जाते है
लेकिन हर रिस्ता कुछ न कुछ सीखा जाता है

लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

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