कुत्ता और खरगोश


कुत्ता और  खरगोश 
-----------------------

एकदिन खरगोश खेतो में 

दाना खा रहा था 

खरगोश को देख कुत्ता दौड़ते 

हुवे आरहा था 

उसी समय खरगोश की आँख 

कुत्ते पे पड़ीं 

खरगोश हुही खड़ी और भागते चली 

कुत्ते भी उसके पीछे भागते चली 

भागते भागते खरगोश थकने लग जाता है 

तभी रस्ते में एक छोटा सा गड्डा आजाता है 

कुत्ता कुछ समज पाता तबतक

खरगोश गड्ढे में घुस जाता है 

कुत्ता खरगोश से बोलता है में तुजसे

इतना बड़ा हु अच्छा दौड़ता हु फिर तू

कैसा जित गया है

खरगोश बोलता है सही बोला  

कुत्ते भाई तेरा सामने मेरा क्या ओकात है 

बच गया में किस्मत की बात है 

फर्क बास इतना था की 

तू मुझे पचाने के लिए भाग रहा था 

और में खुदको बचाने भाग रहा था 

में खुदको बचाने भाग रहा था 

लेखक 
मंजीत छेत्री 
तेज़पुर असम 


Comments

Popular posts from this blog

कविता:- हर किसीकी इज्जत होता है

कविता:-में एक राइटर हु