कविता-पापा की लाड़ली


पापा की लाड़ली
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पापा की लाड़ली हु में
पापा से बहुत प्यार करती हु
सादी कही दूर न होजाय बस
उसी बात से डरती हु
बस उसी बात से डरती हु
नौकरी करके भी गाड़ी नहीं ली
आप पैदाल ही चलते थे
पैसे की कमी से मेरी पढ़ाई
रुक न जाये इसलिए आप
ओवर टाइम ड्यूटी भी करते थे
किस्मत वाली थी में तभी
आप जैसा पापा मेने पाई है
अच्छा शिक्षा देदो पापा
मुझे साधी में दहेज नहीं चाइये
पापा मुझे दहेज नहीं चाइये
एक एक पैसा बचाते है
आप मेरे साधी के लिए
मुझे मम्मी ने सबकुछ बताई थी
माफ़ करना पापा मुझे
मेने आपको बचपन में
बहुत सताई थी
बचपन में बहुत सताई थी

लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम


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