पैसा इंसान को जोक्कड़ बना देता है




पैसा इंसान को जोक्कड़ बना देता है

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पैसा नहीं थे कुच खाने के लिए 

हां में मजबूर था 

पैसो की गर्मी ने जोक्कड़ बना दिया 

है खुदा इसमें मेरा क्या कसूर था

इसमें मेरा क्या कसूर था

पैसा इंसान को जोक्कड़ बना देता है

उसको पाने के लिए इतना ठण्ड में भी

नंगे बदन खड़ा हु

दो वक़्त की रोटी पाने के लिए 

दो वक़्त की रोटी पाने के लिए 

इंसान तो है मगर धीरे धीरे इंसानियत

खो रहा है कागज के टुकड़ो ने नचा दिया

इंसान को दुनियामे ऐ क्या हो रहा है

दुनियामे ऐ क्या हो रहा है

पैसे नहीं थे कुच खाने के लिए हां में मजबूर था 

पैसो की गर्मी ने जोक्कड़ बना दिया 

है खुदा इसमें मेरा क्या कसूर था

इसमें मेरा क्या कसूर था

हर कोई भाग रहा है पैसो के पीछे 

फिर पैसा ने किसको सुख चैन दिया है

सच कहु तो यारो पैसा ने इंसान 

को गुलाम बना लिया 

पैसा ने इंसान को गुलाम बना लिया 





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