कविता-कितना सुन्दर है मेरा गाउ


   ----कविता----
कितना सुन्दर है मेरा गाउ
------------------------------------
पहले जब घरमें थे तब बाहार जानेका
मन करता था घरका खाना छोड़के तब
बाहार खाने का मन करता था
सहर आये थे बड़े सक से
सपनो का मंजिल पाने के लिए
याद आती है जब गाउ घर की तो
मन तरसता है लौट जाने के लिए
मन तरसता है लौट जाने के लिए
कितना सुन्दर है मेरा गाउ चारो
और प्रकृति से खिला हुवा
यहाँ हवा भी चलती है तो
जहर मिला हुवा जहर मिला हुवा
घरका जैसा खाना मिले ऐइसा
कोई परदेश नहीं मिला
खाना तो बहुत मिला पर माँ
का हाथ वाला टेस्ट नहीं मिला
खेत में जब जाते है तो अपने
मर्जी से घर आ सकते है
आज एइसी हो गई ज़िन्दगी मेरी
न अपने मर्जी से जा सकते है
न अपने मर्जी से आ सकते है
जवानी बीत गयी परदेस में
अब घर जानेका मन कर रहा है
बहुत खालिया औरो का हाथ का खाना
अब माँ का हाथो से बनाया
खानेका मन कर रहा है
अब घर लौट जानेका मन कर रहा है
अब घर लौट जानेका मन कर रहा है


लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम

Comments

Popular posts from this blog

motivation song-अपना ब्रांड बनाना पड़ेगा

कविता:-जुल्म् ना कर नारी पे